संसद में दिवालिया व दिवालियापन संहिता विधेयक पारित

दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020 को गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसे 6 मार्च को लोकसभा में पारित किया गया था।;

Update: 2020-03-12 18:19 GMT

नई दिल्ली | दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020 को गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसे 6 मार्च को लोकसभा में पारित किया गया था। संशोधनों का उद्देश्य इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और अंतिम-समय में मिलने वाली फंडिंग दिलवाकर आर्थिक रूप से संकटग्रस्त क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना है।

यह विधेयक एक अध्यादेश की जगह लेगा। राज्यसभा में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) विधेयक, 2020 पर विचार करने के प्रस्ताव पर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा आगे बढ़ाई।

विधेयक पर बहस के दोरान सीतारमण ने कहा, "सरकार छोटे, मध्यम और बड़े सभी उद्योगों की समस्याओं को सुन रही है। साथ ही कानून और दृष्टिकोण में बदलाव के साथ उनकी जरूरतों को समझ रही है।"

वित्तमंत्री ने कहा, "पहले कंपनियों को नहीं पता था कि वे कहां हैं, इससे देनदार और लेनदार दोनों चिंतित रहते थे। लिहाजा, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की जरूरत हुई और उसके बाद 2016 में इसे लाया गया और दोनों सदनों ने विधेयक पर चर्चा की और इसे मंजूरी दी।"

उन्होंने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के प्रदर्शन के बारे में भी बताया।

मंत्री ने कहा, "31 जनवरी, 2020 तक एनसीएलटी द्वारा निपटाए गए कुल मामले 64,423 हैं, जिनमें से 27,107 इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) से संबंधित हैं। कुल 43,102 मामलों का निपटारा हुआ, जिनमें से 14,977 आईबीसी से संबंधित हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि कुल लंबित मामले 21,421 हैं, जिनमें से 12,130 मामले आईबीसी से संबंधित हैं।

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