इतिहास की पुनरावृत्ति, तालिबान से मित्रता विदेशमंत्री जसवंत सिंह

अमेरिकी साम्राज्यवाद ने पाकिस्तान के सहयोग से इस्लामिक कट्टरपंथियों को हथियारबंद करके और भलीभांति प्रशिक्षित कर तालिबान को तैयार किया, वामपंथी सरकार;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-10-12 21:52 GMT

— तुहिन

अफगानिस्तान में प्रगतिशील सरकार और अफगानिस्तान की प्रगतिशील ताकतों को खत्म करने के लिए अस्सी के दशक में अमेरिकी साम्राज्यवाद ने पाकिस्तान के सहयोग से इस्लामिक कट्टरपंथियों को हथियारबंद करके और भलीभांति प्रशिक्षित कर तालिबान को तैयार किया। तालिबान ने वामपंथी सरकार के पतन के बाद गृह युद्ध में नॉर्दर्न एलायंस को हराकर काबुल में प्रवेश किया।

अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में 26 साल पहले कंधार में भारत के तत्कालीन विदेशमंत्री जसवंत सिंह ने तालिबान के विदेश मंत्री मु_ावकिल से समझौता किया था। उद्देश्य था- आईसी-415 एयर इंडिया फ्लाइट (जिसे पाक और तालिबान समर्थित आतंकवादियों ने अगवा किया था), के मुद्दे को सुलझाना। इस समझौते के आधार पर जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को रिहा किया गया और पाकिस्तान भेजा गया।

उस समय भी भाजपा की सरकार थी। 26 साल बाद इसी भाजपा की सरकार ने तालिबान को औपचारिक मान्यता दी है और हाल ही में दिल्ली में तालिबान के वर्तमान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक की और समझौता हुआ।

ये तालिबान कौन है?: अफगानिस्तान में प्रगतिशील सरकार और अफगानिस्तान की प्रगतिशील ताकतों को खत्म करने के लिए अस्सी के दशक में अमेरिकी साम्राज्यवाद ने पाकिस्तान के सहयोग से इस्लामिक कट्टरपंथियों को हथियारबंद करके और भलीभांति प्रशिक्षित कर तालिबान को तैयार किया। तालिबान ने वामपंथी सरकार के पतन के बाद गृह युद्ध में नॉर्दर्न एलायंस को हराकर काबुल में प्रवेश किया। इसके लिए तालिबान ने नॉर्दर्न एलायंस के नेता 'पंजशीर का शेर' अहमद शाह मसूद सहित कई मुजाहिदीन नेताओं की निर्मम हत्या की। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद सबसे पहले उन्होंने पांचवे अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह और उनके सलाहकारों को काबुल में संयुक्त राष्ट्र संघ के दूतावास से जबरन निकालकर कुत्ते की तरह मारकर लैंप पोस्ट में लटका दिया। उन्होंने देश में मौजूद संग्रहालयों, अन्य धर्मों से संबंधित तमाम स्मारक मूर्तियों को जिनमें विश्व विख्यात बामियान की बुद्ध मूर्ति (जो यूनेस्को की विश्व विरासत थी), भी शामिल थी, को ध्वस्त कर दिया।

तालिबान ने अपने पहले कार्यकाल में (जब तक तालिबान भस्मासुर नहीं बन गया और उनके जन्मदाता अमरीकी साम्राज्यवाद उनसे नाराज नहीं हो गए) 15 अगस्त 2021 में अमेरिका द्वारा उनको काबुल का शासन सौंपने के बाद दूसरे कार्यकाल में घोर प्रगति विरोधी, मध्य युगीन प्रतिक्रियाशील रूढ़िवादी धार्मिक कानूनों और घोर महिला विरोधी कानूनों को लागू किया। तालिबान ने बहुत क्रूर मध्ययुगीन तरीके से अपने विरोधियों, बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों को मार डाला और इस तरह से एक प्रगतिशील शिक्षित अफगानिस्तान को पिछड़ेपन ज़हालत और बर्बादी में धकेल दिया। जब तक पाकिस्तान के धार्मिक सैन्य केंद्र से इसकी गलबहियां चलती रही तब तक सब ठीक था। अब अफगान तालिबान द्वारा पैदा किए गए तहरीक-ए-तालिबान, जो पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी गतिविधियां कर रहा है उससे पाकिस्तान को परेशानी हो रही है।

इसलिए अब पाकिस्तान के हुक्मरान और अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों के संबंधों में खटास आ गई है। दूसरी ओर, चूंकि भारत की मोदी सरकार विदेश नीति के मामले में न केवल अपने पड़ोसी देशों से बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों से अलग-थलग पड़ गया है। इसीलिए उसे पाकिस्तान को पटखनी देने के लिए एक सहयोगी की जरूरत है। भले ही वह घोर धार्मिक कट्टरपंथी प्रगति-विरोधी तालिबान शासक ही क्यों न हो।

तालिबान को आतंकवादी जियोनवादी इजरायल और उसके संरक्षक अमेरिकी साम्राज्यवाद द्वारा गज़ा को श्मशान बनाने में या मध्य पूर्व के अन्य देशों में और दुनिया भर में उसके आका अमेरिकी शासकों द्वारा इस्लामोफोबिया के नाम पर शोषण, लूट या दमन से कुछ लेना-देना नहीं है। इसलिए उसको भारत के घोर जन-विरोधी और मुस्लिम-विरोधी संघ परिवार या उसके मार्गदर्शन में संचालित भाजपा सरकार से हाथ मिलाने में तो खुशी ही होगी और दूसरी ओर देखिए दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन क्रस्स् को भी कोई समस्या नहीं है। इस्लाम का झंडा फहराकर देश को मध्य युग में ले जाने वाले तालिबान से मित्रता करने में। कारण यह है कि चाहे अफगानिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाकर बर्बाद करने वाले आतंकवादी तालिबान हो या मनुस्मृति आधारित हिंदुराष्ट्र के नाम पर देश को लूटने वाला संघ परिवार हो दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों कॉरपोरेट पूंजीवादी और दुनिया की जनता के दुश्मन नंबर एक अमेरिकी साम्राज्यवाद के अनुगत हैं और घोर प्रगति-विरोधी, समाज-विरोधी और मानवता विरोधी हैं।

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