ललित सुरजन की कलम से - चुनावों में बदजुबानी
'आज अगर विभिन्न दलों के उम्मीदवार शिष्टता की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं तो उसके लिए सबसे बड़े दोषी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हैं;
'आज अगर विभिन्न दलों के उम्मीदवार शिष्टता की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं तो उसके लिए सबसे बड़े दोषी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हैं। इस बारे में बहुत कयास लगाए गए हैं कि स्थापित परंपराओं को त्यागकर एक व्यक्ति को चुनाव पूर्व ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार क्यों घोषित किया गया।
जो भी हो, ऐसा होने से यह स्थिति बनी कि चुनाव व्यक्ति केंद्रित बना दिया गया। जब कांग्रेस ने प्रत्युतर में अपनी ओर से किसी की उम्मीदवारी घोषित नहीं की तो भाजपा के उकसावे पर मीडिया ने खुद होकर राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी का प्रतिस्पर्धी घोषित कर दिया।
उधर अरविंद केजरीवाल भी उसी रास्ते का अनुसरण करते हुए मंच पर अवतरित हो गए। इस परिदृश्य में भाजपा और नरेंद्र मोदी दोनों के लिए यह आवश्यक हो गया कि जैसे भी हथकंडे अपनाना पड़ें, श्री मोदी को एक अजेय योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया जाए और वही हो रहा है।'
(देशबन्धु में 24 अप्रैल 2014 को प्रकाशित)
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