ललित सुरजन की कलम से - कसाब को फांसी के बाद
'21 नवंबर को फांसी देने के बाद से अनेक तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं;
'21 नवंबर को फांसी देने के बाद से अनेक तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। इसमें पाकिस्तान के किसी सरकारी प्रवक्ता का यह बयान गौरतलब है कि कसाब को फांसी देने का कोई प्रभाव सरबजीत के मामले पर नहीं पड़ेगा, वह अपनी तरह से चलता रहेगा।
इसके अलावा यह भी कहा गया कि जिस तरह भारत में कानून अपना काम करता है उसी तरह पाकिस्तान में भी अदालती प्रक्रिया अपने ढंग से चलती है और इसलिए हाफिज सईद के मामले में भारत को पाकिस्तान पर भरोसा करना चाहिए।
इस प्रतिक्रिया का पहला हिस्सा किसी हद तक आश्वस्त करता है कि सरबजीत की रिहाई शायद अभी भी मुमकिन है। दूसरे हिस्से का जहां तक सवाल है यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान की चुनी सरकार का कोई नियंत्रण आतंकवाद पर नहीं है, कि उन्हें सेना के एक प्रभावशाली वर्ग का संरक्षण मिला हुआ है और उसके इस आश्वासन पर विश्वास करना कठिन है।'
(देशबन्धु में 29 नवम्बर 2012 को प्रकाशित)
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