ललित सुरजन की कलम से - सातवां वेतनमान: खेतों में सूखा : बाजार में बहार
सरकारी कर्मचारियों को उनके काम के मुताबिक संतोषजनक वेतन मिले इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी;
By : Deshbandhu
Update: 2025-08-25 01:05 GMT
सरकारी कर्मचारियों को उनके काम के मुताबिक संतोषजनक वेतन मिले इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी, किन्तु यहां पहला बुनियादी सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सरकारी कर्मचारी देश के अन्य नागरिकों से भिन्न किसी प्रजाति के हैं।
दूसरे- वे जो काम कर रहे हैं वह किसके लिए? मात्र अपने लिए वेतन अर्जित करने अथवा समाज की बेहतरी के लिए? तीसरे- यदि प्रशासनतंत्र में कसावट नहीं है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन? क्यों आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें सुनने मिलती हैं? क्यों प्रधानमंत्री को सफाई देना पड़ती है कि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है?
(देशबन्धु में 2 जुलाई 2016 को प्रकाशित )
https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/07/blog-post.html