ललित सुरजन की कलम से - मीडिया चौराहे पर
'कुछ समय पहले जब रहील खुर्शीद को 'ट्विटर' का भारत प्रभारी नियुक्त किया गया तो उनको हटाने के लिए भी एक मुहिम चल पड़ी क्योंकि खुर्शीद पूर्व में श्री मोदी की आलोचना कर चुके हैं;
'कुछ समय पहले जब रहील खुर्शीद को 'ट्विटर' का भारत प्रभारी नियुक्त किया गया तो उनको हटाने के लिए भी एक मुहिम चल पड़ी क्योंकि खुर्शीद पूर्व में श्री मोदी की आलोचना कर चुके हैं।
'फोर्ब्स इंडिया' के एक संपादक इंद्रजीत गुप्ता को भी किसी ऐसे ही आधार पर पद त्याग के लिए मजबूर होना पड़ा। आर.पी. गोयनका समूह द्वारा संचालित 'ओपन' पत्रिका से जुझारू पत्रकार हरतोष सिंह बल को इसलिए हटना पड़ा कि वे भी नरेन्द्र मोदी की नीतियों का विरोध कर रहे थे।
उनके आलोचक भूल गए कि श्री बल ने कांग्रेस और राहुल गांधी की भी उसी निष्पक्षता के साथ आलोचना की थी। इस बीच दिल्ली के युवा पत्रकार शिवम विज का एक लेख इंटरनेट पर आया है जिसमें उनका आरोप है कि मुकेश अंबानी के टीवी-18 समूह ने अपने दो जाने माने पत्रकारों निखिल वागले व सागरिका घोष को चेतावनी दी है कि वे निजी तौर पर भी श्री मोदी की आलोचना करना बंद करें।'
(देशबन्धु में 13 फरवरी 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/02/blog-post_12.html