ललित सुरजन की कलम से - अन्ना, बाबा, भाजपा और सरकार

'यह निर्विवाद सत्य है कि हमारे देश में भ्रष्टाचार विकराल रूप से व्याप्त है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-09-10 22:13 GMT

'यह निर्विवाद सत्य है कि हमारे देश में भ्रष्टाचार विकराल रूप से व्याप्त है। इस पर विजय पाने के लिए सुतार्किक एवं समयबद्ध योजना बनाने की आवश्यकता है,जबकि अभी जैसी हायतौबा मचाई जा रही है उसमें भ्रष्टाचार को महज एक भावनात्मक मुद्दे के रूप में उभारा जा रहा है। जो इसे उछाल रहे हैं, वे स्वयं भी शायद नहीं चाहते कि भ्रष्टाचार दूर हो। हम अपने पाठकों को एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं कि देश में इस मसले पर पहले भी दो बड़े भावनात्मक आन्दोलन हुए हैं। पहला- 1973-74 में गुजरात के 'नवनिर्माण आंदोलन' के रूप में जिसकी परिणिति जयप्रकाश नारायण की 'संपूर्ण क्रांति' में हुई और दूसरा- बोफोर्स के खिलाफ विश्वनाथ प्रताप सिंह का जनमोर्चा जिसका प्रसाद उन्हें प्रधानमंत्री पद के रूप में मिला।'

'उपरोक्त दोनों आन्दोलनों के बारे में देखना कठिन नहीं है कि भ्रष्टाचार को भावनात्मक मुद्दे के रूप में खूब उछाला गया, लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकला। भ्रष्टाचार नहीं मिटना था सो नहीं मिटा, क्योंकि आन्दोलन करने वालों के इरादे ही नेक नहीं थे। उनका मकसद येन-केन-प्रकारेण राजनैतिक सत्ता हासिल करने का था, जिसके लिए जनता को प्यादों की तरह इस्तेमाल किया गया।'

( 9 जून 2011 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/04/10_23.html

Tags:    

Similar News