विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार पद्मश्री मुशीरुल हसन का निधन

जामिया विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति तथा राष्ट्रीय अभिलेखागार के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर मुशरूल हसन का उनके निवास पर निधन हो गया, वह 69 वर्ष के थे;

Update: 2018-12-10 11:55 GMT

नयी दिल्ली। विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार, जामिया विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति तथा राष्ट्रीय अभिलेखागार के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर मुशरूल हसन का आज की सुबह यहाँ उनके निवास पर निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे।
उनके परिवार में उनकी पत्नी जोया हसन है जो जे एन यू में राजनीति शास्त्र की प्रोफेसर हैं।

प्रोफेसर हसन काफी दिन से बीमार चल रहे थे। वर्ष 2014 में एक दुर्घटना के कारण अस्वस्थ होने के बाद वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए।

जामिया नगर इलाके के ओखला विहार स्थित बाबुल इल्म में जनाजे की नमाज दोपहर एक बजे होगी और दो बजे जामिया कब्रिस्तान में दफन किया जाएगा।

भारत-पाकिस्तान बंटवारे और साउथ-एशिया में इस्लाम के इतिहास पर उन्होंने उल्लेखनीय काम किया। पंद्रह अगस्त 1949 को जन्मे मुशीरुल हसन को पद्मश्री समेत कई पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है। 
प्रोफेसर हसन 2009 से 2014 तक जामिया के कुलपति रहे। अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय को दुनियाभर में एक नई पहचान बनाई। 

उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी जिसमें नेशनलिज्म एंड कंम्यूनल पॉलिटिक्स इन इंडिया 1885-1930, द लिगेसी ऑफ अ डिवाइडेड नेशन : इंडियाज मुस्लिम सिंस इंडिपेंडेंस प्रमुख हैं।

उनके निधन पर दुख व्यवक्त करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा, “एक इतिहासकार, एक अध्यापक, एक कुलपति, एक ऑर्किविस्ट मुशीरुल हसन में संस्कृति और स्कॉलरशिप के सभी गुण थे। उनके काम और उनकी किताबें हमे रास्ता दिखाती रहेंगी। प्रोफेसर जोया हसन और उनके परिवार को मेरी संवेदना।”

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