बाढ़ प्रभावितों को हर संभव सहयोग करेंगे, कोई कसर नहीं छोड़ेंगे : शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के बाढ़ प्रभावितों को हर संभव सहयोग करेगी और उनकी सहायता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी;

Update: 2021-08-09 01:28 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के बाढ़ प्रभावितों को हर संभव सहयोग करेगी और उनकी सहायता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश की जनता के नाम जारी अपने संदेश में कहा है कि पिछले दिनों भयंकर वर्षा के कारण उत्तरी मध्यप्रदेश के कई जिलों विशेषकर ग्वालियर-चंबल संभाग और विदिशा जैसे जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा दी। अतिवृष्टि भी साधारण नहीं थी। ऐसी वर्षा कभी देखी नहीं थी। अकेले श्योपुर जिले में 101 सेंटीमीटर बारिश हो गई। कभी भी इस समय तक 30 से.मी. से ज्यादा बारिश नहीं होती थी। शिवपुरी में 99 से.मी. बारिश हो गई। बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए और नदियों में भयंकर बाढ़ आ गई। हजारों मकान मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। गाँव के गाँव तबाह हो गए। मकान डूब गए, पशु बह गए, लोग बाढ़ में फँस गए। लोगों की गृहस्थी उजड़ गई। फसलों को नुकसान पहुंचा। सड़कें टूट गईं। कुछ पुल भी बह गए। बिजली के सब स्टेशन डूब गए। ऐसी भयानक त्रासदी कभी नहीं देखी गई।

श्री चौहान ने कहा कि आपदा के आते ही मैं भी सक्रिय हो गया और प्रशासन भी सक्रिय था। मंत्री अपने क्षेत्रों में अपने प्रभार के जिलों में पहुँच गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मैंने कई बार बात की और प्रधानमंत्री ने भी फोन किए। हमारे आग्रह पर तत्काल एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर भेजे गए। एयर फोर्स के 6 हेलीकॉप्टर, बीएसएफ के जवान, सेना के जवान, आर्मी, एनडीआरएफ की टीम भेज दी गई। अपनी एसडीआरएफ की टीम ने भी खूब काम किया। सरकार का प्रशासनिक अमला और समाज-सेवी बचाव के काम में लगे रहे। दिन और रात बचाव कार्य की मॉनीटरिंग की गई। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन एक बात राहत की है कि हम लोगों की जिन्दगी बचाने में सफल हो गए।

उन्होंने कहा कि लगभग 8 हजार 900 लोग बाढ़ के पानी में अलग-अलग जगहों फँस गए थे। कोई टापू पर बैठा था, कोई घरों की छत पर बैठा था, कोई मंदिरों के ऊपर था, तो कोई पेड़ों पर था। एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर, सेना के जवानों ने और एसडीआरएफ के जवानों ने हमारे पुलिस के जवानों के साथ लोगों का रेस्क्यू कर उन्हें बचाने में सफलता प्राप्त की। 32 हजार 900 लोग बाढ़ से निकालकर ऊंचे स्थानों पर पहुँचाए गए, जिन्हें राहत शिविरों में रखा गया। लोगों की जान तो बचा लीं, लेकिन माल नहीं बचा पाए। लोगों काी गृहस्थी उजड़ी, सामान नष्ट हुआ, दुकानों में रखा सामान भी नष्ट हो गया, घर के अन्दर का सामान खराब हो गया, काम-धंधे चौपट हो गए।

उन्होंने कहा कि लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है। राहत के कार्यों के लिए 12 मंत्रियों की टास्कफोर्स बनाई है। सारे प्रमुख विभाग के अफसर उसमें सम्मिलित हैं। राहत के कामों, सहायता, पुनर्वास और पुनर्निमाण के काम के लिए मैं स्वयं, मंत्रियों की टीम और अधिकारी जुटेंगे। क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियाँ भी सहयोग देंगी। बाढ़ पीड़ितों को भोजन और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता है। इस काम में हम लगे हुए हैं। सरकार ने फैसला किया है कि तत्काल प्रत्येक बाढ़ पीड़ित परिवार को जो नियमित राशन मिलता है, उसके अतिरिक्त 50 किलो राशन और दे दिया जाए। जहाँ संभव होगा गेहूँ पिसवाकर आटा भेजने की कोशिश की जा रही है।

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