बाबा बागेश्वर के बूते लड़ेंगे 2024 का चुनाव?

बाबा बागेश्वर महाराष्ट्र की ओर मुड़कर नहीं देखते। नागपुर में श्रीराम चरित्र-चर्चा का आयोजन हुआ था;

Update: 2023-05-20 04:22 GMT

- पुष्परंजन

बाबा बागेश्वर महाराष्ट्र की ओर मुड़कर नहीं देखते। नागपुर में श्रीराम चरित्र-चर्चा का आयोजन हुआ था। इस दौरान अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव ने बाबा बागेश्वर पर जादू-टोने और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। चुनौती दी कि हमारे चुने हुए दस लोगों में किसी के मन की बात पर्चा में लिख कर दे दो। बागेश्वर वहां से निकल लिये।

चुटिया को झटका देते हुए धीरेंद्र शास्त्री बोले, 'भारत के सबसे महंगे धरम गुरू हम ही हैं। वर्तमान में। एक सी-आर तो चाहिए ही चाहिए, कथा की।' यूट्यूब का यह वीडियो क्लिप फेक नहीं है। मध्यप्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर घाम के पीठाधीश्वर हैं, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री। एक सी-आर का मतलब हुआ, एक करोड़ रूपये। इस देश के आम आदमी के अकाउंट में एक करोड़ आ जाए, तो सबसे पहले उसे आयकर विभाग में उसका एक प्रतिशत जमा करना होता है। साल भर बाद टैक्स रिटर्न में उसका ब्योरा भरिये। बाबाओं को इस झंझट से सरकारों ने मुक्त कर रखा है। करोड़ों की चल अचल संपत्ति का कोई हिसाब-किताब नहीं देना है। बाबागिरी से चोखा धंधा आज की तारीख़ में कोई और हो, तो बता दीजिएगा। बाबागिरी के लिए डिग्री-डिप्लोमा की कोई आवश्यकता नहीं। बस बोलने आना चाहिए। जो जितना अच्छा बोलेगा, उतना ही शानदार बेचेगा। यही मूल मंत्र है, इस धंधे का।

पहले लोकसभा, विधानसभाओं के सदस्य अपने कामों के हवाले से छवि बनाते थे। आज की राजनीति में बहुत सारे सभासद, बाबाओं पर आश्रित हो गये। मध्यप्रदेश एक बड़ा उदाहरण है, जहां विधानसभा चुनाव होना है। बीते छह महीने में भोपाल संभाग में 500 कथाओं के आयोजन हो चुके हैं, जिनमें राजधानी भोपाल में 20 कथा, अशोक नगर में 100, राजगढ़ में 150, गुना में 70, सीहोर में 80, रायसेन में 50, और विदिशा में 20 कथाओं का आयोजन हो चुका है। अशोकनगर में 19 से 25 सितंबर 2022 तक सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन हुआ था। इस कथा के आयोजक सांसद केपी मिश्रा थे। उन्होंने इस कथा पर डेढ़ करोड़ रुपए से ज़्यादा राशि खर्च की थी। 24 से 30 नवंबर 2022 तक विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने बाबा बागेश्वर की कथा पर 2 करोड़ रुपए खर्च कर दिये। भोपाल में बीते दिनों जया किशोरी जी की कथा पर 1 करोड़ की राशि खर्च की गई है।

2023 की सूची मैं सर्च कर रहा था। पता चला सबसे टॉप पर बाबा बागेश्वर ही है। बाबा बागेश्वर ने मुरारी बापू, वृंदावन के लक्षमणपुरा वाले कृष्ण चंद्र शास्त्री, मथुरा के ही कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, डॉ. श्याम सुंदर पराशर, सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा तक को पीछे छोड़ दिया है। राम जन्मभूमि आंदोलन के समय उमा भारती, ऋतम्भरा, और विजय राजे सिंधिया का काफी नाम हुआ था। टीकमगढ़ ज़िले मेें जन्मीं आठवीं पास, निडर और बेबाक उमा भारती ने अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का राजनीतिक दोहन अच्छे से कर लिया।

ऋतम्भरा और उमा भारती, दोनों महिलाएं साधारण से असाधारण बनीं। साध्वी ऋतम्भरा के पिता, प्यारे लाल हलवाई थे। लुधियाना के दोराहा कस्बे का गांव मंडी में जन्मीं साध्वी ऋतम्भरा का साधारण सा बैकग्राउंड। ऋतम्भरा ने आध्यात्मिक कथा वाचन के क्षेत्र को जब चुना, तब गिनी-चुनी साध्वियां दीखती थीं, अब इस कारोबार में साध्वी चित्रलेखा, जया किशोरी, देवी प्रतिभा, देवी कृष्णा प्रिया, प्राची देवी, देवी प्रियंका, देवी चंद्रकला, देवी वैभवी श्री, देवी हेमलता शास्त्री, यामिनी देवी साहू, देवी सत्यार्चा जैसी कथावाचिकाओं की भीड़ है।

पहले लगा था कि कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी धर्म का सहारा लेना कम कर देगी। ग़लत था ऐसा सोचना। कर्नाटक परिणाम के बाद बाबा बागेश्वर का पटना आना। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, सांसद सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद, मनोज तिवारी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी जैसे नेताओं की उपस्थिति, कई सवाल खड़े करता है। बीजेपी के ये दिग्गज चेहरे किस हैसियत से बाबा बागेश्वर के आगे साष्टांग थे? क्या बाबा बागेश्वर, टीम मोदी का हिस्सा है? यह दिलचस्प है कि हत्या, लूट, एके-47 की तस्करी करने के वास्ते कुख्यात चेहरा भी चार्टर प्लेन में बाबा बागेश्वर के साथ दिखा। बिहार लहालोट था, नीतीश का रक्तचाप बढ़ा हुआ था, और लालू कुनबा बस बयानबाज़ी तक रह गया। कांग्रेस किस मुंह से सवाल करे? स्वयं कमलनाथ, कभी बाबा बागेश्वर के आगे नतमस्तक दिखे थे। बाबा बागेश्वर ने नब्ज़ पकड़ ली है बिहार की। बिहारियों को 'पागल' बोल गये। तर गये सुनने वाले। सितंबर में फिर आयेंगे 'पागल प्रदेश' मगर, बाबा बागेश्वर महाराष्ट्र की ओर मुड़कर नहीं देखते। पिछले साल महाराष्ट्र के नागपुर में श्रीराम चरित्र-चर्चा का आयोजन हुआ था। इस दौरान अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव ने बाबा बागेश्वर पर जादू-टोने और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। चुनौती दी कि हमारे चुने हुए दस लोगों में किसी के मन की बात पर्चा में लिख कर दे दो। बागेश्वर वहां से निकल लिये। थाने में टोना टोटका फैलाने का केस भी हुआ, मगर शासन ने बाद में उसे ख़ारिज़ कर दिया। अंधभक्तों ने ऊंगली उठाने वाले श्याम मानव की ऐसी-तैसी कर दी। अब भी 'चमत्कार' पर सवाल करने वाले दबोच लिये जाते हैं।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कथित गुरू, रामभद्राचार्य (गिरिधर मिश्रा) 73 साल के हैं। रामभद्राचार्य जब दो माह के शिशु थे, ट्रेकोमा की वजह दृष्टिदोष के शिकार हो गये। जौनपुर से उनके परिवार वाले लखनऊ किंग जार्ज अस्पताल ले आये, फिर सीतापुर, मुंबई आंखों के विशेषज्ञों के यहां चक्कर लगाये, मगर गिरिधर मिश्रा की रौशनी नहीं लौटी। ईश्वर ने गिरिधर मिश्रा के आंखों की रोशनी तो छीनी, बदले में दिव्य आवाज़ दे दी। गिरिधर मिश्रा की पहचान रामभद्राचार्य के रूप में हुई, उनके प्रवचन इतने प्रभावशाली हुए कि देश-दुनिया में उनके द्वारा प्रस्तुत रामकथा की ख्याति बढ़ी। मगर, प्रकृति ने रामभद्राचार्य को प्रज्ञाचक्षु बनाये रखा। कोई पूछे, अलौकिक शक्तियों के मालिक बाबा बागेश्वर ने अपने गुरू रामभद्राचार्य की दिव्यांगता को दूर करने का प्रयास क्यों नहीं किया?

छतरपुर-खजुराहो, दतिया की आबोहवा में कुछ ऐसा है कि आपके मन की बात पर्ची पर लिखने वाले बाबा खर-पतवार की तरह उग आये। धीरेंद्र कृष्ण स्वयं को गर्गवंशी ब्राह्मण कुल का बताता है। 4 जुलाई 1996 को छतरपुर ज़िले बिजावर तहसील के ग्राम गढ़ा में धीरेन्द्र कृष्ण का जन्म हुआ। यह ध्यान देने वाली बात है कि छतरपुर ज़िले छोटे-छोटे मंदिरों में धर्म का व्यापार चला रहे बाबाओं की उम्र 18 से 25 साल के आसपास है। इस इलाक़े में पांचवीं से आठवीं पास युवाओं में शार्टकट रास्ते से धन और प्रसिद्धि पाने का नशा दिखता है। धर्म की दुकान चला रहे इन युवाओं में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। इनके गुर्गे बस अड्डों से लेकर आवाजाही के हर मार्ग पर सक्रिय दिखते हैं।

बागेश्वर धाम में पहले स्वामी श्री-श्री 108 बाबा बैठते थे, फिर धीरेन्द्र कृष्ण के बप्पा जी विराजने लगे। इन दोनों को लोकल लोग छोटे-मोटे पूजा-पाठ की वजह से जानते थे। बागेश्वर धाम की प्रसिद्धि से कोई साल भर पहले, वहां से सात किलोमीटर की दूरी पर राजनगर थाना क्षेत्र के खैरी टपरियन स्थित ब्रह्मेश्वर धाम में भीड़ जुटती थी, जहां एक 20 साल का युवक लवलेश तिवारी पीठाधीश्वर बन बैठा था।

छतरपुर जिले के लखेरी गांव में जन्में लवलेश तिवारी ने वहीं के महर्षि स्कूल में केवल 8वीं क्लास तक की पढ़ाई की थी। कहानी बनी, कि 8वीं की पढ़ाई के बाद लवलेश तिवारी वेदों की दीक्षा लेने वृंदावन चले गए थे। लवलेश तिवारी के गुरु पंडोखर सरकार बताये गये। मूल रूप से भिंड के रहने वाले पंडोखर सरकार (गुरूशरण शर्मा) ने धर्म की दुकान 1999 से दतिया में खोल रखी है। उनके चेले हैसियत के हिसाब से शुल्क लेकर लोगों की पर्ची काटते हैं। पंडोखर बाबा लोगों के मन की बात अलौकिक ढंग से पढ़ लेते हैं, पर्ची लिखकर उपाय बताते हैं। पंडोखर सरकार का दावा है कि बागेश्वर धाम से अधिक भीड़ हमारे यहां जुटती है, मंत्री-संतरी सब आते हैं।

ये मन की बात कैसे जान लेते हैं? इस सवाल का जवाब दो साल पहले लवलेश तिवारी ने ठीक उसी तरह दिया था, जिस तरह से बाबा बागेश्वर देते हैं। लवलेश तिवारी ने कहा बजरंगबली उन्हें आदेश करते हैं, और वह लोगों की मन की बात पर्ची पर लिख देते हैं। 2021 में 'ब्रह्मेश्वर धाम सरकार' के यहां मंगलवार और शनिवार को दरबार लगना आरंभ हो चुका था। नारियल में लाल-पीले कपड़े लपेटकर अर्जी लगाई जाती। धाम की दुकानें चकाचक चल रही थीं। 18 फरवरी 2022 को अचानक ब्रह्मेश्वर धाम पर पुलिस की दबिश हुई। पीठाधीश्वर पुलिसवालों के मन की बात पढ़ नहीं सके। पुलिस ने पीठाधीश्वर लवलेश तिवारी को पास के गांव की एक महिला से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया। संतानोत्पत्ति की आस में आई महिला के पति का आरोप था कि बाबा ने झाड-फूंक के बहाने बलात्कार किया था। ब्रह्मेश्वर धाम देखते-देखते उजड़ गया।

ब्रह्मेश्वर धाम की भीड़ अब बागेश्वर धाम पहुंच गई। इस इलाक़े के कुछ लोग कहते हैं, कि ब्रह्मेश्वर धाम को बंद करने के लिए साजिश रची गई थी। छह महीने बाद, 24 अगस्त 2022 को पीठाधीश्वर लवलेश तिवारी को जमानत मिली। इस बीच शिकायतकर्ता महिला के पति पर भी बलात्कार का मामला दर्ज़ कराया गया। मगर, पर्ची वाली दुकान दोबारा से जमी नहीं। बागेश्वर के पास ही टीकमगढ़ में 22 साल का शाश्वत तिवारी, उर्फ 'कुटी महाराज' पर्चे बना रहा है। देखते हैं, इसकी दुकान कैसे बन्द होती है।

सवाल यह है कि धीरेंद्र कृष्ण को हिट कराने वाले लोग हैं कौन? दूसरे कथावाचकों से 'हम आपके हैं कौन' जैसा व्यवहार क्यों होने लगा? बाबा बागेश्वर का यूएसपी है, 'हिंदू राष्ट्र'। हिंदू राष्ट्र का उन्माद फैलाने से राजनीतिक हवा बनती है, भक्तों का जुटान होता है, पैसा बरसता है। इस बॉल को बाबा बागेश्वर ने कैच कर लिया है। सनातन धर्म और हिंदू राष्ट्र का आह्वान बाबा रामदेव ने भी आंखें मटकाते हुए किया था, मगर उसमें मर्दानगी नहीं थी। लेपटॉप के बाज़ार में इस समय थर्टीन्थ जनरेशन का एडवांस मॉडल आ चुका है। बाबा बागेश्वर भी चुनावी रणनीति का लेटेस्ट मॉडल है, जिसकी उपयोगिता 2024 तक के लिए तय हो चुकी है!
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