7,000 साल पुरानी हड्डियों से निकला इंसान का रहस्यमयी वंश

आज से 5,000 साल पहले सहारा में पानी भी था और ताकरकोरी इंसानों का रहस्यमय वंश भी. दुनिया की सबसे पुरानी दो प्राकृतिक ममियां ये राज खोल रही हैं;

Update: 2025-04-06 14:45 GMT

11 देशों में फैला सहारा रेगिस्तान, आकार में करीब अमेरिका और चीन के बराबर है. इसे जमीन पर मौजूद सबसे रुखे इलाकों में गिना जाता है. लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि आज से 5,000 साल पहले, सहारा में रेगिस्तान की जगह हरा-भरा घास का मैदान था. 14,500 साल से 5,000 साल पहले तक के उस कालखंड में वहां पानी स्रोत थे और जीवन भी खिल रहा था.

जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपॉलजी के वैज्ञानिकों को वहां दो महिलाओं का 7,000 साल पुराना डीएनए मिला है. डीएनए, दक्षिण पश्चिमी लीबिया के ताकरकोरी इलाके से मिला. रिसर्चरों के मुताबिक, डीएनए एक पथरीली या चट्टानी जमीन के नीचे दबे अवशेषों से मिला. प्राकृतिक रूप से दोनों शव ममी बन चुके थे. इस लिहाज से यह वैज्ञानिकों को मिली अब तक की सबसे पुरानी प्राकृतिक ममी हैं. डीएनए ममी में मौजूद हड्डियों से जुटाया गया.

डीएनए विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उस वक्त हरे भरे सहारा में रहने वाली ये दोनों महिलाएं अनुवांशिक रूप से बाहरी दुनिया से काफी अलग थीं. विज्ञान मामलों की पत्रिका द नेचर में छपे शोध के मुख्य लेखक और पुरातत्व अनुवांशिकी विशेषज्ञ योहानस क्राउस कहते हैं, "उस वक्त ताकरकोरी, झील करीब बसा एक हरा-भरा घास का मैदान था, यह आज के सूखे मरुस्थल जैसा नहीं था."

पहली बार सामने आया ताकरकोरी इंसान

जीनोम विश्लेषण से पता चलता है कि ताकरकोरी लोग एक खास और अब तक गुमनाम मानव वंश का हिस्सा थे, वे हजारों वर्षों तक उप-सहारा और यूरेशियन मानव वंशों से अलग रहते थे. योहानस क्राउस कहते हैं, "इससे पता चलता है कि वे पशुपालन करने के बावजूद आनुवंशिक रूप से अलग रहे."

पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि वे लोग पशुपालक थे और पालतू जानवरों को चराया करते थे. रिसर्चरों को मौके पर पत्थर, लकड़ी और जानवरों की हड्डियों से बने औजार, मिट्टी के बर्तन, बुनी हुई टोकरी और नक्काशीदार मूर्तियां भी मिलीं.

10 लाख साल पहले भी रेगिस्तान में रहा है आदिमानव

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन दो ताकरकोरी महिलाओं का वंश उत्तरी अफ्रीका के किसी इंसानी समुदाय से करीब 50,000 पहले अलग हुआ. यह वही कालखंड है जब कुछ मानव वंश अफ्रीकी महाद्वीप से बाहर फैलते हुए मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया की ओर जा रहे थे. बाद में यही लोग अफ्रीका के बाहर मौजूद इंसान के पूर्वज बने.

क्राउस कहते हैं, "आनुवंशिक साक्ष्य 20,000 साल पहले से पूर्वी भूमध्यसागर से समूहों के आगमन को दिखाते हैं. इसके बाद लगभग 8,000 साल पहले इबेरिया और सिसिली से आना हुआ. अज्ञात कारणों से ताकरकोरी वंश अपेक्षा से अधिक समय तक बाकी समूहों से अलग रहा.

ताकरकोरी में मिले कुछ जवाब और उभरे कई नए सवाल

सहारा लगभग 15,000 साल पहले ही रहने योग्य हुआ था, लिहाजा ताकरकोरी लोगों का उससे पहले का निवास स्थान पता नहीं है." वैज्ञानिकों का दावा है कि ईसा पूर्व से करीब 3000 साल पहले जलवायु परिवर्तन का कारण सहारा रेगिस्तान बन गया.

दुनिया भर में मौजूद इंसानों की मौजूदा होमो सेपियंस प्रजाति भी अफ्रीका से ही बाहर फैली. अब तक सामने आए वैज्ञानिक सिद्धांतों के मुताबिक होमो सेपियंस ने यूरेशिया के हिस्सों में पहले से मौजूद निएंडरथाल प्रजाति के साथ संबंध भी बनाए. इस तरह आज के गैर-अफ्रीकी इंसानों की एक नई और स्थायी आनुवंशिक कड़ी शुरू हुई. ग्रीन सहारा के लोगों में केवल निएंडरथाल डीएनए के बहुत कम अंश दिखे. इससे पता चलता है कि उनका बाहरी जनसंख्या के साथ बहुत कम मेलजोल था.

क्राउस के मुताबिक, सहारा के रेगिस्तान बनने पर वहां की ताकरकोरी आबादी भी गायब सी हो गई. हालांकि उनके वंश के कुछ निशान उत्तरी अफ्रीका का अलग अलग कबीलों में आज भी मौजूद हैं. क्राउस को लगता है कि भविष्य में इस मामले पर होने वाली रिसर्च इंसान का अनुवांशिक इतिहास की कई छिपी तहें खोलेगी.

 

Full View

 

Tags:    

Similar News