वामदल सबरीमाला या उसमें आस्था रखने वालों के खिलाफ नहीं : माकपा

केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को हाल में लोकसभा चुनाव में विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ा था;

Update: 2019-07-23 18:40 GMT

तिरुवनंतपुरम। केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को हाल में लोकसभा चुनाव में विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ा था। इसके मद्देनजर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव कोदियेरी बालाकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि वाम पार्टियां सबरीमला या इसके मानने वालों के खिलाफ नहीं हैं। केरल में एलडीएफ ने देखा कि लोकसभा चुनावों में इसकी गणना आठ सीटों से कम होकर एक सीट पर सिमट गई और कांग्रेस की अगुवाई वाले युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंड (यूडीएफ) ने 20 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की।

इस बड़े उलटफेर के बाद एलडीएफ ने राजनीतिक सर्वसम्मति हासिल करने के लिए घर-घर जाकर अभियान शुरू किया।

बालाकृष्णन का सबरीमला मुद्दे पर महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की इजाजत पर यह टिप्पणी एलडीएफ के घर-घर जाकर अभियान चलाने के दूसरे दिन आई है।

उन्होंने कहा, "जो भी हुआ वह शीर्ष अदालत का फैसला था और कुछ राजनीतिक दलों ने इसका इस्तेमाल किया। हमने बहुत ही स्पष्ट तौर पर कहा कि हम सबरीमला या इसके मानने वालों के खिलाफ नहीं हैं। लोगों के दिमाग में हमारे रुख को लेकर कुछ मतभेद है। हम मानने वालों के राय में क्या मतभेद है, इसे देखेंगे और उसे दूर करेंगे।"

लोकसभा चुनाव के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने दृढ़तापूर्वक कहा था कि सबरीमला विवाद ने चुनाव नतीजों को नहीं प्रभावित किया। हालांकि, माकपा के मुखपत्र 'देशाभिमानी' ने कहा कि वाम के खराब प्रदर्शन के लिए सबरीमला मुद्दा प्रमुख कारणों में से एक रहा।

बीते महीने माकपा ने दिल्ली में अपनी राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में स्वीकार किया कि सबरीमला मंदिर विवाद ने आम चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है।

इसके बाद माकपा की केरल इकाई ने सोमवार को राज्यभर में घर-घर जाकर पहुंच अभियान शुरू किया था।

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