हवाई अड्डे से लंगूरों को भगाने के लिए भालू जैसी पोशाक का प्रयोग सफल, अब होगा अमल - गंगल

पहले ऐसी एक पोशाक तैयार करायी गयी और लगभग एक सप्ताह तक इसका इस्तेमाल कर लंगूरों को भगाने में खासी सफलता मिली है।;

Update: 2020-02-08 14:22 GMT

अहमदाबाद। देश के सातवें सबसे व्यस्त हवाई अड्डे अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आये दिन घुस आने वाले लंगूरों (काले मुंह वाले बंदरों) को भगाने के लिए भालू जैसी विशेष पोशाक पहन उनको भगाने का अनूठा प्रयोग सफल साबित हुआ है और अब जल्द ही इसे पूरी तरह लागू किया जायेगा।

हवाई अड्डा निदेशक मनोज गंगल ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रयोग करने का विचार उन्हे पूर्व में दिल्ली में आतंक मचाने वाले लाल मुंह वाले बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों की मदद लिये जाने की घटना को याद कर कुछ समय पहले आया था। पहले ऐसी एक पोशाक तैयार करायी गयी और लगभग एक सप्ताह तक इसका इस्तेमाल कर लंगूरों को भगाने में खासी सफलता मिली है। इस दौरान एक भी उड़ान बंदरों के प्रवेश के चलते बाधित नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि अब पांच ऐसी पोशाकें बनायी गयी हैं और आने वाले समय में 20 से 25 पोशाकें बनायी जायेंगी। श्री गंगल ने बताया कि इन पोशाकों को अहमदाबाद में कास्टयूम बनाने वाली छह दशक पुरानी एक कंपनी ने इतनी बारीकी से डिजायन और तैयार किया है कि इसे पहनने पर ऐसा लगता है कि सचमुच का भालू ही आ गया। इसमें से प्रत्येक को बनाने में 20 से 25 हजार रूपये का खर्च आया है।

श्री गंगल ने बताया कि हवाई अड्डे की बाहरी दीवार लगभग 16 किलोमीटर लंबी और खासी ऊंची हैं तथा इसके पास बिजली और कटीले तांरो की बाड़बंदी समेत तीन स्तरीय सुरक्षा भी है पर 20 फुट तक की छलांग लगाने में सक्षम लंगूरों के इनमें प्रवेश पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाती थी। उन्हें रोकने के लिए तेज आवाज वाले गन समेत कई उपाय किये गये पर सफल नहीं हुए। हाल में मैने सोचा कि जैसे लंगूरों से डर कर बंदर भागते हैं वैसे ही लंगूर भी किसी न किसी जानवर से डरते ही होंगे। विशेषज्ञों से राय ली गयी तो उन्होंने चिंपांजी और काले भालू के नाम सुझाये। वन्यजीव नियमों और अन्य व्यवहारिक मुश्किलों के चलते न तो लंगूरों को मार भगाया जा सकता था और ना ही चिंपांजी अथवा भालू इस काम के लिए लगाये जा सकते थे। ऐसे में मेरे दिमाग में भालू जैसी पाेशाक बना कर उन्हें डराने का विचार आया जो अब सफल साबित हुआ है।

श्री गंगल ने कहा कि एक और अच्छी बात यह है कि हमने यह देखा था कि लंगूर हवाई अड्डा परिसर में सुबह और शाम एक खास समय के बीच ही प्रवेश करते हैं। इससे हमारा काम और आसान हो गया। भालू जैसी पोशाक पहने स्टाफ को सुबह और शाम को लगभग 15 मिनट उसी समय में तैनात कर दिया जायेगा। प्रयोग के दौरान हमने देखा कि ऐसे स्टाफ को देखते ही लंगूर बुरी तरह डर जाते हैं और भाग जाते हैं। इस काम के लिए हवाई अड्डे पर चिड़िया और अन्य जानवरों के प्रवेश को नियंत्रित करने वाली शाखा के आउटसोर्स स्टाफ को लगाया जा रहा है।
 

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