हथकरघा उद्योग के प्रति घटता रूझान बना चिंता का सबब
इटावा में हथकरघा उद्योग के प्रति घटती दिलचस्पी जिला प्रशासन के लिये चिंता का सबब बनी हुयी है;
इटावा। बुनकरों की दशा सुधारने के तमाम सरकारी दावों के परे उत्तर प्रदेश के इटावा में हथकरघा उद्योग के प्रति घटती दिलचस्पी जिला प्रशासन के लिये चिंता का सबब बनी हुयी है।
हथकरधा विभाग के उप उपायुक्त सर्वेश कुमार शुक्ला का कहना है कि जिले में करीब एक दशक पहले 400 के आसपास बुनकर समितियां नामित थी जिनमें से अब मात्र 200 के आसपास ही क्रियाशील रह गयी है।
सरकारी की बुनकर के लिए कोई स्पेशल योजना नही है लेकिन केंद्र सरकार के संचालित एक योजना को मेरठ की एक संस्था के माध्यम से संचालित किया गया है जिसमे 200 बुनकरो की संख्या वाली समितियों को लाभ प्रदत्त दिया जा रहा है।
इटावा के बुनकर कारोबार से जुडे कारोबारी फिरोज अहमद का कहना है कि पिछले साल जुलाई से लागू किये गये जीएसटी के बाद किसी ने भी अपना रजिस्ट्रेशन नही कराया है जबकि इटावा मे करीब 4500 करधे बुनकरो ने लगा कर रखे है और 222 समितियॉ नामित है ।
उन्होने कहा कि तकनीकी तौर पर मजबूत ना होने के कारण बुनकरो की ओर से अभी तक किसी भी संस्था ने अपना रजिस्ट्रेशन नही कराया है । दूसरे बुनकरो को इतनी आय भी नही है कि अपने आप को इस टैक्स के लिए सक्षम पाये । असल मे खेती के बाद देश मे बुनकर कारोबार ही ऐसा माना जाता है जो रोजगार देना का दूसरा बडा माध्यम बना हुआ था लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद बुनकरो के सामने संकट दर संकट आ खडा हुआ है ।