भारत बंद करने वालों को केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने स्वार्थी बताया

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भारत बंद करने वालों और इसका समर्थन करने वालों को स्वार्थी करार दिया है। उन्होंने कहा कि ये लोग चाहते हैं कि सभी लाभ केवल उन्हें मिले;

Update: 2024-08-21 23:44 GMT

पटना। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भारत बंद करने वालों और इसका समर्थन करने वालों को स्वार्थी करार दिया है। उन्होंने कहा कि ये लोग चाहते हैं कि सभी लाभ केवल उन्हें मिले।

जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे लोगों को मैं स्वार्थी तत्व इसलिए कहता हूं, क्योंकि वो मेरे बड़े भाई हैं और नहीं चाहते हैं कि छोटे भाई की प्रगति हो। भारत बंद करने वाले लोग चाहते हैं कि 100 में 100 का लाभ उन्हें ही मिले।। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण का सुझाव दिया, इसके लिए कोर्ट का धन्यवाद। यह सुझाव समाज के विकास के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि जैसे एक परिवार में चार भाई होते हैं और उनमें आपस में नहीं पटता है तो वे बंटवारा कर लेते हैं और गोतिया के रूप में अच्छे से रहते हैं। उसी तरह से सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि समाज में वर्गीकरण होना चाहिए। आजादी के बाद जातियों का विकास नहीं हो पाया, ऐसे में यह जरूरी है कि उनके लिए अलग से व्यवस्था की जाए।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक शेड्यूल कास्ट का 90 फीसदी लाभ केवल 4-5 जातियों ने लिया है, जबकि बाकी जातियां आज भी हाशिये पर हैं। इनमें से 5 से 7 प्रतिशत जातियों को लाभ मिल सका है इसीलिए यह न्याय नहीं अन्याय हो रहा है। यह स्वार्थ की नहीं, गैर स्वार्थ की बात है। जिन लोगों ने भारत बंद का नारा दिया है, वे स्वार्थी हैं। हमने 18 जातियों के साथ बैठक की थी और हमने सुप्रीम कोर्ट के वर्गीकरण का समर्थन किया था, इसलिए हमने इस बंद का विरोध किया है।

उल्लेखनीय है कि आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने देश भर में बुधवार को भारत बंद का ऐलान किया है। इस दौरान कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला। स्कूल-कॉलेज बंद हैं, परिवहन सेवाएं प्रभावित हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार आरक्षण के मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि आरक्षण के मुद्दे पर फैसला लिया जाए और सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाए। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुई हैं।

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