फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से दिया इस्तीफा

महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट अब आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है;

Update: 2022-06-29 22:29 GMT

मुंबई। महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट अब आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार रात शिवसेना की दलीलों को खारिज करते हुए गुरुवार को ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया। इसके कुछ देर बाद ही सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव करते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर इस्तीाफा सौंप दिया। ठाकरे ने फेसबुक लाइव पर शिंदे गुट के गिले-शिकवों पर अपनी बात रखी और कहा कि आपको अपनी बात ठीक तरह से रखनी चाहिए थी। उद्धव ने कहा कि जिनसे धोखे की आशंका थी वे साथ रहे। उन्होंने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को धन्यवाद कहा।

बागियों पर छलका ठाकरे का दर्द

उन्होंने इस दौरान कहा, 'मेरे पास शिवसेना है। मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का खून बहे। मैं अप्रत्याशित तरीके से आया था और मैं इसी तरह से बाहर जा रहा हूं। मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं, मैं यहां रहूंगा, और मैं एक बार फिर शिवसेना भवन में बैठूंगा। मैं अपने सभी लोगों को इकठ्ठा करूंगा। मैं सीएम और एमएलसी के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।' इस्तीफे के ऐलान के दौरान उद्धव ठाकरे का दर्द भी झलका। उन्होंने कहा, 'जिस भाषा का इस्तेमाल हुआ वह अच्छा नहीं है। सभी बागी ठाकरे परिवार को भूल गए। जिनको मैंने दिया वह सब नाराज हैं। जिन्हें कुछ नहीं दिया वह साथ में हैं। उद्धव ने आगे कहा, 'एक खत पर राज्यपाल ने फैसला ले लिया। राज्यपाल को मैं धन्यवाद करता हूं। कांग्रेस ने मंत्रिमंडल से निकलने की पेशकश की थी। आखिर बागी विधायकों को नाराजगी किस बात की है।'

राज्यपाल की भूमिका पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पहले तो विधानसभा स्पीकर को लेकर ही फैसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पीकर पर फैसले के बाद संख्या में बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने कुछ ज्यादा ही तेजी से काम किया है। यही नहीं गवर्नर के आदेश की प्रक्रिया पर भी सिंघवी ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस मसले पर कैबिनेट की सलाह ही नहीं ली।

उन्होंने सिर्फ नेता विपक्ष की मांग के आधार पर ही यह फैसला ले लिया। सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है। कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है।

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