त्रिपुरा : पारंपरिक 'केर पूजा' आज से शुरू

लोगों की भलाई और बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए त्रिपुरा में जनजातियों की अनोखी और पारंपरिक 'केर पूजा' शुक्रवार रात को शुरू होगी;

Update: 2017-07-14 18:42 GMT

अगरतला। लोगों की भलाई और बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए त्रिपुरा में जनजातियों की अनोखी और पारंपरिक 'केर पूजा' शुक्रवार रात को शुरू होगी।

राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित 'केर पूजा' त्रिपुरा की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। समारोह को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

परंपरानुसार, पश्चिमी त्रिपुरा जिला प्रशासन ने इस साल के लिए 'केर पूजा' के इलाके निश्चित किए हैं। अगरतला में शाही महल और साथ ही यहां से 12 किलोमीटर पूर्व में त्रिपुरा की भूतपूर्व राजधानी पूरन हवेली को केर पूजा के लिए निश्चित किया गया है।

पश्चिमी त्रिपुरा जिला के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "केर पूजा शुक्रवार रात 10 बजे शुरू होगी और यह 31 घंटों से भी ज्यादा समय तक बेरोकटोक जारी रहेगी।"

निर्देश के अनुसार, "गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को पूजा के इलाके से दूर रखा जाएगा। किसी को भी पूजा के लिए निश्चित किए गए इलाके में जाने की अनुमति नहीं होगी।"

निर्देश है कि केर पूजा वाले इलाकों में किसी भी प्रकार के मनोरंजन, नाच, गाने या पशुओं के आने जाने पर रोक रहेगी। साथ ही किसी परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर परिवार को जुर्माना भी देना होगा।

पूर्व शाही परिवार और त्रिपुरा सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार, केर पूजा का खर्च सरकार उठाती है।

अधिकारी ने कहा, "पक्षियों, पशुओं की बलि और अन्य चढ़ावा इस प्रचलित पूजा की खासियत है।"

हरे बांस से बने एक ढांचा की केर पूजा की देवी के रूप में पूजा की जाती है। इस मौके पर मुख्य पुजारी या 'चंतई' को राजा माना जाता है।

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