त्रिपुरा: लोकायुक्त नियक्ति अधिनियम में संशोधन को लेकर समिति गठित

णिक सरकार की सलाह पर लोकायुक्त के नियुक्ति संबंधी अधिनियम में आवश्यक संशाेधन के प्रस्ताव को लेकर वरिष्ठ मंत्री अघोरे देबवर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।;

Update: 2017-02-24 15:29 GMT

अगरतला। त्रिपुरा विधानसभा अध्यक्ष रामेन्द्र चंद्र देवनाथ ने विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री माणिक सरकार की सलाह पर लोकायुक्त के नियुक्ति संबंधी अधिनियम में आवश्यक संशाेधन के प्रस्ताव को लेकर वरिष्ठ मंत्री अघोरे देबवर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।

पिछले साल दिसम्बर में पूर्व लोकायुक्त गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पी के सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद खाली पड़े पद पर लोकायुक्त की नियुक्ति करने में राज्य सरकार सक्षम नहीं थी।

इस समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विधानसभा में इस अधिनियम में संशोधन की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने तीन वरिष्ठ मंत्रियों कानून मंत्री तपन चक्रवर्ती, राजस्व मंत्री बादल चौधरी और पंचायत मंत्री माणिक डे के साथ आदिवासी कल्याण मंत्री अघोरे देबवर्मा की अध्यक्षता वाली एक समिति की गठन कर दी। इसके अलावा तीन विपक्षी विधायकों तृणमूल कांग्रेस के सुदीप रॉय वर्मन,कांग्रेस के रतन लाल नाथ और गोपाल राय और सरकार के मुख्य सचेतक बासुदेव मजूमदार को भी इस समिति में स्थान दिया गया है जो लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर अधिनियम में आवश्यक संशोधन के लिए सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखेगी।

त्रिपुरा लोकायुक्त अधिनियम, 2008 के मुताबिक मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के साथ विचार-विमर्श के बाद राज्यपाल को लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए सलाह दी जाती है।

इस तरह विधानसभा में विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति के कारण यह पद पिछले दो महीने से खाली पड़ा था। उन्होंने कहा,“स्थिति को देखते हुए बुधवार को राज्य विधानसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को विपक्ष के नेता का प्रावधान करने के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन कर इसे पारित किया गया था ताकि विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति में लोकायुक्त चयन समिति में तीन सदस्यों को शामिल किया जा सके।
 

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