जौनपुर में मनाया गया परम्परागत अन्नकूट महोत्सव

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में आदि गंगा गोमती के पावन तट सूरज घाट पर आज अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया;

Update: 2017-10-20 16:07 GMT

जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में आदि गंगा गोमती के पावन तट सूरज घाट पर आज अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया।
सूरज घाट के महंथ बाबा नरसिंह दास ने यहां बताया कि दीपावली के दूसरे दिन परम्परागत अन्नकूट महोत्सव मनाया गया।
सूरज घाट पर प्राचीन मठ में अन्नकूट पर्व पर मनाये गये महोत्सव में भगवान को भोग लगाने के लिए छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाये गए।

उन्होंने बताया कि इन व्यंजनों से भगवन श्रीराम, माता सीता, भगवान श्रीकृष्ण एवं राधारानी को भोग लगाने के पश्चात महाप्रसाद के रूप में मठ पर आये साधु-संतों के साथ भक्तजनों में बांटा गया।

प्रसाद ग्रहण करने के बाद लोग अपने घरों को प्रस्थान किये। श्री दास ने कहा कि यहां पर यह परम्परा वर्ष 1970 से चली आ रही है।

इसके साथ ही जौनपुर नगर के बारीनाथ मठ पर महंथ जनसन्त योगी देवनाथ ने आज भगवान गोवर्धन की विधि विधान से पूजा की।
इस अवसर पर गोबर से बनाये गए गोवर्धन की लोगों ने परिक्रमा भी की।

मान्यताओं के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट पर्व की परम्परा मुख्यतया ब्रज और अयोध्या में प्रचलित है। ब्रज मंडल में अन्नकूट की परम्परा गोवर्धन पर्वत से अनुप्राणित है।

ब्रजवासी भगवान कृष्ण के समय से ही गोवर्धन को भगवान विष्णु का प्रतीक मानकर इस पर्वत की पूजा करते हैं और पूजा के बाद गोवर्धन को भांति भांति के व्यंजनों का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।

मान्यता है कि लंका विजय कर राम के वापस अयोध्या आने की ख़ुशी में कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई गई और अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट महोत्सव मनाया गया।

भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आने पर उनकी महिमा के अनुरूप भोज भंडारा का आयोजन स्वाभाविक था।

इसके पीछे यह अवधारणा भी थी कि वन जीवन के दौरान भगवान राम को राजशी पकवान से वंचित रहना पड़ा होगा। इसकी भरपाई के लिए उन्हें कई तरह के व्यंजन परोसे गए और तभी से यह परम्परा रामनगरी में चली आ रही है।

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