इस बार भी जवानों संग दिवाली मना सकते हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बार भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दिवाली का त्योहार सेना के जवानों के बीच मनाने की संभावना है;
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बार भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दिवाली का त्योहार सेना के जवानों के बीच मनाने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार श्री मोदी के रविवार के कार्यक्रम को सुरक्षा कारणों से अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन पिछले अनुभवों को देखते हुए इस बार भी उनके सीमा या नियंत्रण रेखा पर किसी अग्रिम इलाके में सेना के अधिकारियों और जवानाें के साथ दिवाली मनाने की अटकलें लगायी जा रहीं हैं।
गौरतलब है कि पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 की कुछ धाराओं और 35 ए को समाप्त करने के बाद श्री मोदी पहली बार जवानों के बीच दीपावली का पर्व मनायेंगे।
सूत्रों के मुताबिक श्री मोदी इस बार दिवाली मनाने नियंत्रण रेखा पर जा सकते हैं। श्री मोदी इस बार पाकिस्तान और चीन से लगे सीमांत इलाकों में तैनात भारतीय जवानों के साथ दिवाली मना सकते हैं। साथ ही वह जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर बनी सैन्य ठिकानों पर भी जा सकते हैं।
इससे पहले भी श्री मोदी ने पिछले साल जवानों के साथ घाटी की अलग-अलग जगहों पर दिवाली मनाई थी। सीमांत इलाकों में प्रधानमंत्री ने जवानों से मुलाकात की थी और उन्हें मिठाइयां भी बांटी थीं।
वर्ष 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद श्री मोदी ने पहली दिवाली सियाचीन में जवानों के साथ मनाई थी। इसके ठीक अगले साल उन्होंने पंजाब की सीमा में दीपावली मनाई तथा वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं सालगिरह भी मनायी थी।
वर्ष 2016 में श्री मोदी ने हिमाचल प्रदेश की अग्रिम चौकी पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के साथ दिवाली मनायी थी। वर्ष 2017 में श्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के गुरेज में सेना एवं सुरक्षा बलों के जवानों के संग दीपाली मनायी जबकि वर्ष 2018 में उन्होंने उत्तराखंड में सेना एवं आईटीबीपी जवानों के साथ मिठाईयां बांटकर दीपावली मनायी।
श्री मोदी ने 2017 में सैन्य चौकी पर आगंतुकों की पुस्तक में लिखा,“सीमा पर बहादुर सैनिकों की उपस्थिति, इस उत्सव के अवसर पर, आशा की दीप जलाती है, और करोड़ों भारतीयों के बीच नई ऊर्जा उत्पन्न करती है। अपने प्रियजनों से दूर रहकर मातृभूमि की रक्षा करना और बलिदान की सर्वोच्च परंपराओं को प्रदर्शित कर देश की सीमाओं पर तैनात सभी सैनिक बहादुरी और समर्पण के प्रतीक हैं।”
बहरहाल हर बार प्रधानमंत्री के दौरे को गुप्त रखा जाता है। श्री मोदी ही अपने लोकेशन के बारे में ट्वीट के बाद जानकारी देते हैं। ऐसा उनकी सुरक्षा के मद्देनजर किया जाता है।