बिहार से मजदूरों को तेलंगाना भेजे जाने पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने

एक ओर जहां कोरोना के इस दौर में अन्य प्रदेशों से मजदूर बिहार लौट रहे हैं, वहीं बिहार के खगड़िया से 200 से अधिक मजदूरों को तेलंगाना भेजे जाने को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है;

Update: 2020-05-09 00:32 GMT

पटना। एक ओर जहां कोरोना के इस दौर में अन्य प्रदेशों से मजदूर बिहार लौट रहे हैं, वहीं बिहार के खगड़िया से 200 से अधिक मजदूरों को तेलंगाना भेजे जाने को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार पर निशाना साधा है, वहीं उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सरकार का बचाव किया है। तेजस्वी ने शुक्रवार को कहा, "गुरुवार को देर रात एक ट्रेन में 222 बिहारवासी 'श्रमवीर' तेलंगाना भेजे गए हैं। संवेदनहीनता की भी एक सीमा होती है। जहां सभी राज्य सरकारें अपने राज्यवासियों को वापस लाकर उनकी बेहतरी में दिन-रात प्रयासरत है, वहीं तालाबंदी से पहले बिहार आए अप्रवासी मजदूरों को बिहार सरकार वापस बाहर भेज रही है। रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने वाली ये सरकार है या मैनपॉवर एजेंसी?"

तेजस्वी ने बयान जारी कर कहा, "ये असंवेदनशीलता दुखद तो है ही, साथ में मुख्यमंत्री के उस फर्जी दावे की भी पोल खोल रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अप्रवासी मजदूरों का कौशल सर्वे करा बिहार में ही उनको रोजगार देंगे। ये तो सरकार के द्वारा 'फोस्र्ड' पलायन है। क्यों मुख्यमंत्री जी, इतनी जल्दी बोझ बन गए हमारे ये कर्मवीर भाई?"

इधर, उपमुख्यमंत्री मोदी ने तेजस्वी का नाम लिए बिना राजद पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, "देश जब कोरोना संक्रमण, लॉकडाउन और मजदूरों-गरीबों की अधिकाधिक मदद की तिहरी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब कांग्रेस-राजद जैसी वंशवादी पार्टियों के 'युवराज' सरकार के हर कल्याणकारी कदम में खोट निकालने को ही जनसेवा मान रहे हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "किसी को पीएम केयर्स फंड के प्रति जनता का भरोसा खल रहा है, तो कोई प्रवासी मजदूरों के काम पर लौटने के शुभारंभ को 'रिवर्स माइग्रेशन' बता रहा है। जिनके राज में बिहार से लाखों लोगों का महापलायन हुआ, लेकिन मजदूरों को रोकने की कोई योजना नहीं बनी, वे आज परम संवेदनशील दिखने का नाटक कर रहे हैं।"

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