मंदी निराशावादियों के दिमाग की उपज: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आईसीएसआई के गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करने वालों को करारा जवाब दिया;

Update: 2017-10-05 01:43 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आईसीएसआई के गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करने वालों को करारा जवाब दिया। उन्हें कहा कि कुछ लोगों को निराशा फैलाने में बड़ा मजा आता है। उन्होंने कहा कि देश के विकास को विपरीत दिशा में ले जाने वाले पैरामीटर कुछ लोगों को पसंद आते थे और अब जबकि ये पैरामीटर सुधरे हैं और देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो ऐसे लोगों को परेशानी हो रही है। ऐसे लोगों का अर्थव्यवस्था में विकास होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मंदी केवल निराशावादियों के दिमाग की उपज है। देश की जीडीपी कोई पहली बार नहींगिरी है।

सरकार जीएसटी से हो रहे कारोबारी नुकसान पर नजर बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेश में जमा काले धन के लिए बहुत कठोर कानून बनाया गया। पुराने टैक्स समझौतों में हमने बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि हमने जीएसटी लागू किया और नोटबंदी की हिम्मत दिखाई। अर्थव्यवस्था में ईमानदारी का नया दौर शुरू हुआ है। अब काले धन का लेन-देन करने से पहले लोगों को 50 बार सोचना पड़ता है। मोदी ने कहा कि आज विदेशी निवेशक भारत में रिकॉर्ड निवेश कर रहे हैं। विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मट्ठीभर लोग ऐसे हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को, हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करते हैं। ऐसे लोगों को सिस्टम से हटाने के लिए सरकार ने पहले ही दिन से स्वच्छता अभियान शुरू कर रखा है। 

व्यापारियों को डरने की जरूरत नहीं

मोदी ने कहा कि जीएसटी से व्यापारियों को होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार कदम उठाएगी। व्यापारियों को डरने की जरूरत नहीं है। पिछले रिकॉर्ड नहीं खंगाले जाएंगे। हम हालात बदलने के लिए कदम उठा रहे हैं। हाल के दिनों में वाहनों की खरीददारी में इजाफा हुआ है। विदेशी रिकॉर्ड निवेश कर रहे हैं। ट्रैक्टर की खरीददारी में 34 फीसदी का इजाफा हुआ है। कार और वाहनों की बिक्री बढ़ी है। 

जरूरत पड़ी, तो जीएसटी में होगा बदलाव

मोदी ने यह भी संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी, तो जीएसटी में बदलाव संभव है। जीएसटी काउंसिल इस पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में एक लाख 20 हजार किमी लंबी सड़केें बनी, जो पिछली की सरकारों के मुकाबले ज्यादा हैं। इस बीच उन्होंने यह भी कहा कि हम लकीर के फकीर नहीं हैं, न ही हम दावा करते हैं कि सारा ज्ञान हमारे पास ही है।

 

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