वनवासी संस्कृति का मूल आधार-हासदा
संस्कृति का मूल आधार वेद है सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है;
मनेन्द्रगढ़। संस्कृति का मूल आधार वेद है सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है। जिसका आधार प्रकृति है और हमारे वनवासी बंधुओं के जीवन का आधार प्रकृति है।
एकलव्य वनवासी छात्रावास चैनपुर में आयोजित जिला स्तरीय जनजाति सम्मेलन में अपना उद्बोधन देते हुए अखिल भारतीय संयोजक जनजाति सुरक्षा मंच राजकिशोर हासदा ने कहा कि इस तरह वनवासी बंधु हमारी संस्कृति का मूल आधार है, जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास हेतु वनवासी विकास समिति जनजाति सुरक्षा मंच जैसी अनेक संस्थाएं कार्यरत है। वर्तमान में हमारे देश में लगभग 11 करोड़ जनजाति बंधु हैं।
इस अवसर पर सह संघ चालक कोरिया नीरज अग्रवाल ने कहा कि सामान्य तौर से सभी नगरीय निवासियों और वनवासी बंधुओं में एक अंतर मानते हैं। मगर हम यह मानते हैं कि तू मैं एक रक्त इसी अंतर की खाई को पाटने के लिए वनवासी विकास समिति की स्थापना की गई है। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण ने अपने कार्यों से संदेश दिया है कि सभी समान हैं। कोई छोटा, बड़ा या उच्च, निम्न नहीं है सभी बराबर हैं।
कार्यक्रम के अंत में प्रान्तीय उपाध्यक्ष वनवासी विकास समिति छ.ग.ललित चंद्राकर ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन वनवासी विकास समिति जिला कोरिया विनोद शुक्ला ने किया।
इस अवसर पर महेश्वरी सिंह, संध्या वाघटकर, सुनयना विश्वकर्मा, कु.रेवती सोनी, धर्मेंद्र पटवा, सुरेश श्रीवास्तव, विनोद दुआ,आर.के श्रीवास्तव, टी.विजय गोपाल राव, सी.एल.नागवंशी, जगदम्बा अग्रवाल सहित गणमान्य नागरिक, छात्र व जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए वनवासी बन्धु उपस्थित रहे।