तमिल नेताओं ने श्रीलंका की संसद को भंग करने की निंदा की

तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना द्वारा संसद भंग करने के फैसले की आलोचना करते हुए केंद्र सरकार से श्रीलंका में तमिलों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की;

Update: 2018-11-10 21:35 GMT

चेन्नई। तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेताओं ने शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा संसद भंग करने के फैसले की आलोचना करते हुए केंद्र सरकार से श्रीलंका में तमिलों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की। द्रमुक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने एक बयान में सिरिसेना के कदम को 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया। 

स्टालिन ने कहा, "भारत सरकार को घटनाक्रम पर चुप्पी साधने के बजाए इसकी निंदा करनी चाहिए और ईलम तमिलों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।"

पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने कहा कि श्रीलंका के घटनाक्रम पर भारत चुप नहीं रह सकता है, क्योंकि इससे भारत की सुरक्षा प्रभावित हुई और तमिलों के कल्याण पर असर हुआ है। 

रामदास ने कहा कि श्रीलंका में चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं होगा। 

सिरिसेना ने शुक्रवार को कहा कि संसद शनिवार 12 बजे (पूर्वाह्न्) से भंग हो जाएगी। साथ ही, पांच जनवरी, 2019 को होने वाले संसदीय चुनाव के लिए नामांकन पत्र 19 नवंबर से लेकर 26 नवंबर तक मंगाए जाएंगे। 

उन्होंने नई संसद के गठन के लिए 17 जनवरी की तारीख निर्धारित की है। 

यह कदम राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद उठाया गया है। 

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