अलकायदा की मदद करेगा तालिबान

अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़कर जाने के तुरंत बाद से ही तालिबान अपनी सरकार बनाने में जुट गया है.. लेकिन तालिबान के अंदर के तमाम गुटों में चल रहे मतभेदों के चलते सरकार बनाने का फार्मूला तय नहीं हो पा रहा है. वैसे टॉप के कुछ नामों पर सहमति बन चुकी है. इस बीच तालिबान की ओर से भारत और चीन को लेकर भी बयानबाजी शुरू हो गई है. जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है.;

Update: 2021-09-03 19:43 GMT

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पूरी तरह अब अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत शुरू हो चुकी है... और तालिबान में खुशी साफ देखी जा रही है .. इसी के साथ तालिबान सरकार बनाने में जुट गया है. तालिबान की ओर से दावा किया जा रहा था कि सरकार गठन का फार्मूला बन चुका है और आज इसका ऐलान हो जाएगा.. लेकिन अब ये कहा जा रहा है कि इसमें कुछ दिन और लग सकते हैं ..  इस सरकार का नेतृत्व तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथों में होगा. जबकि तालिबान के मुखिया अखुंदजादा को संरक्षक या सुप्रीम लीडर जैसा कोई पद मिल सकता है. तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बाद स्तेनकजई तालिबान सरकार में महत्वपूर्ण पद संभालेंगे. तालिबानी सरकार का ऐलान अभी भले ही नहीं हुआ हो. लेकिन उसकी ओर से दुनियाभर के मुल्कों से बातचीत शुरू करने की कोशिश हो रही है.क्योंकि अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है... पाकिस्तान, चीन और रूस तालिबान के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. कतर की ओर से भी तालिबान की मदद की जा रही है. लेकिन अभी तक इन देशों ने भी तालिबानी शासन को मान्यता देने के संकेत नहीं दिए हैं. इस बीच तालिबान ने चीन को अपना दोस्त बताया है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि चीन उनकी मदद कर रहा है. और चीन द्वारा मिलने वाले आर्थिक सहयोग के सहारे ही अफगानिस्तान विकास करेगा. तालिबान ने चीन को जहां अपना दोस्त बताया वहीं कश्मीर मसले पर उसने भारत को टेंशन दे दी. शाहीन ने कहा कि  मुसलमान होने के नाते कश्मीर के मुसलमानों के पक्ष में आवाज उठाना हमारा अधिकार है और हम इसका इस्तेमाल करेंगे. इस बीच पाकिस्तान भी तालिबान के सहारे कश्मीर में भारत को परेशान करने की रणनीति बना रहा है. लेकिन फिलहाल अफगानिस्तान खुद ही मुश्किल में फंसा हुआ है. क्योंकि अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति इस समय बेहद खुराब हो चुकी है. खाने पीने के सामान का स्टॉक भी एक महीने का ही बचा है. ऐसे में तालिबान के लिए आने वाला समय बेहद मुश्किल भरा होगा.

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