आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ सामग्री की सत्यता जांचेगा सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ सामग्री की सत्यता की जांच करेगा;

Update: 2018-09-18 00:14 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ सामग्री की सत्यता की जांच करेगा। मामले की सुनवाई का आदेश बुधवार को देते हुए, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "सबसे पहले, हम सामग्री को जांचेंगे। हम रिकार्ड को देखेंगे, आरोपों को देखेंगे और देखेंगे कि क्या मामले में कुछ वास्तविकता है। अगर यह गढ़ी हुई कहानी होगी, तो हम इसे खारिज कर देंगे।"

अदालत ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमने सामग्री को जांचने का निर्णय लिया है।

अदालत ने कहा, "हम आपकी स्वतंत्रता की रक्षा कर रहे हैं..हम आपको बुधवार को सुनेंगे।"

इससे पहले महाराष्ट्र की तरफ से पेश अतिरिक्त महाधिवक्त तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि वह ऐसी सामग्रियों को दिखांएगे, जिससे पता चल जाएगा कि पांचों आरोपियों -सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वेर्नोन गोन्साल्विस, अरुण फरेरा- को असहमति जताने के लिए नहंीं, बल्कि राज्य को हानि पहुंचाने वाली गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया है।

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