कर्मियों की छंटनी व वेतन कटौती के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील पेश की और 29 मार्च को केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने और कई अन्य राज्यों द्वारा जारी किए गए इसी तरह के परामशरें की मांग की;

Update: 2020-05-08 22:16 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोरोनावायरस के मद्देनजर लागू राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान विभिन्न आईटी/आईटीईएस/बीपीओ और केपीआई कंपनियों में कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर नौकरी से हटाने और अवैध रूप से वेतन कटौती के मुद्दे पर एक याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की। न्यायाधीश अशोक भूषण, एस.के. कौल और बी.आर. गवई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले को उठाते हुए इस मुद्दे की जांच करने के लिए सहमत हुए और इसे 15 मई के लिए सूचीबद्ध किया।

ये जनहित याचिका आईटी यूनियन राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी कर्मचारी सेना (एनआईटीईएस) द्वारा एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अमित पई के माध्यम से दायर की गई है।

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील पेश की और 29 मार्च को केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने और कई अन्य राज्यों द्वारा जारी किए गए इसी तरह के परामशरें की मांग की। केंद्र ने कर्मचारियों को नहीं हटाने और उनके वेतन में कटौती नहीं करने के निर्देश दिए थे।

केंद्रीय सरकार के श्रम और सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सभी मुख्य सचिवों को निर्देश जारी किए गए थे कि वे सार्वजनिक और निजी कंपनियों को राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान कर्मचारियों की छंटनी या वेतन कटौती लागू न करने के लिए एडवाइजरी जारी करें।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की 19 अप्रैल को प्रकाशित रिपोर्ट में, यह बताया गया था कि देशभर में कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बिना किसी उचित कारण के हटाना शुरू कर दिया है और उनके वेतन को रोकना शुरू कर दिया है।

याचिका में कहा गया है कि कर्मचारियों के अधिकारों को संरक्षित किया जाना चाहिए।

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