प्रधान न्यायाधीश के पास मुकदमे बांटने का पूरा अधिकार: वेणुगोपाल
महान्यायवादी वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत के प्रधान न्यायाधीश 'मास्टर ऑफ रोस्टर' होते हैं और उनके पास मुकदमों का न्यायाधीशों के बीच आवंटन करने और अनुशासन बनाए रखने की पूरी शक्ति है।;
नई दिल्ली। महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि भारत के प्रधान न्यायाधीश 'मास्टर ऑफ रोस्टर' होते हैं और उनके पास मुकदमों का न्यायाधीशों के बीच आवंटन करने और अनुशासन बनाए रखने की पूरी शक्ति है। वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ को बताया कि मामलों का आवंटन करने की शक्ति प्रधान न्यायाधीश की जगह बहु सदस्यीय कॉलेजियम को देने से कई प्राधिकारी सामने आएंगे और टकराव व अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होगी।
वेणुगोपाल ने कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश अथवा कॉलेजियम मामलों का आवंटन तय करेंगे तो 'हरेक न्यायाधीश अपनी पसंद' जाहिर करेंगे जिससे न्यायिक प्रणाली 'चरमरा' जाएगी।
वेणुगोपाल ने कई फैसलों का जिक्र करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि प्रधान न्यायाधीश मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं।
अदालत ने इससे पहले पूर्व कानून मंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण की ओर से दाखिल एक याचिका पर वेणुगोपाल की मदद मांगी थी। याचिका में शांति भूषण ने महत्वपूर्ण व संवेदनशील मामलों की सुनवाई के लिए उनका बंटवारा पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों के द्वारा किए जाने की मांग की थी।शीर्ष अदालत ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
शांति भूषण की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया कि सीधे तौर पर लोकतंत्र की रक्षा के सवालों से जुड़े संवेदनशील मामलों को प्रधान न्यायाधीश की स्वेच्छा पर नहीं छोड़ दिया जाना चाहिए।
भूषण ने अपनी याचिका में कहा कि मास्टर ऑफ रोस्टर के तौर पर प्रधान न्यायाधीश का अधिकार निर्बाध, संपूर्ण, स्वैच्छिक एकल शक्ति नहीं है जिसका उपयोग पूरी तरह स्वेच्छा से किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश को अपनी शक्तियों का उपयोग कॉलेजियम में शामिल अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के परामर्श से करना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि प्रधान न्यायाधीश की राय से कहीं ज्यादा सुरक्षिम कॉलेजियम की सामूहिक राय होगी।