दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण कम करने के कड़े उपाय किए गए हैं : भूपेंद्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई कड़े उपाय लागू किए हैं;

Update: 2024-11-22 22:57 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई कड़े उपाय लागू किए हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक उद्योगों को शेयरधारकों के हितों को व्यापक हितधारक जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, “ किसी भी उद्योग की स्थापना करते समय, हमारी प्राथमिक प्रतिबद्धता केवल शेयरधारकों के प्रति ही नहीं बल्कि समाज के प्रति भी होती है। ” उन्होंने कहा कि कंपनी जगत की जिम्मेदारियां लाभ से भी बढ़कर जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारों, ऊर्जा उपयोग पैटर्न और समग्र उपभोग व्यवहार को सामाजिक जिम्मेदारी के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करती हैं।

श्री यादव ने गुरुवार शाम को यहां उद्योग मंडल फिक्की की 97वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुये दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खासकर नवंबर की चुनौतीपूर्ण जलवायु परिस्थितियों के दौरान वायु प्रदूषण से निपटने के लिये कड़े उपाय लागू किये हैं।

उन्होंने इसी संदर्भ में औद्योगिक इकाइयों के स्वच्छ ईंधन में सफल बदलाव का विवरण दिया, जिसमें दिल्ली में 7,759 इकाइयों में से 7,442 ने स्वच्छ विकल्पों को अपनाया है। एनसीआर क्षेत्रों के आस पास के इलकों में भी इसी तरह की प्रगति हुई है। उन्होंने बताया कि जिसमें हरियाणा में 3,141 इकाइयों में से 2,954 के ईंधन विकल्प में बदलाव किया गया है, उत्तर प्रदेश ने 2,273 इकाइयों में से 2,183 को और राजस्थान ने 522 इकाइयों में से 482 को स्वच्छ ईंधन वाली इकाई के रूप में परिवर्तित किया है।

श्री यादव ने कहा कि सरकार की ग्रीन क्रेडिट पहल ने अपने पहले 100-दिवसीय पायलट कार्यक्रम में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। मंत्री ने खुलासा किया कि 22 सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों ने लगभग 47,937 हेक्टेयर भूमि को कवर करते हुये ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) पोर्टल का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।

पर्यावरण मंत्री ने उल्लेख किया कि स्वच्छ औद्योगिक प्रथाओं की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुये, पर्यावरण मंत्रालय ने सर्कुलर इकोनॉमी पहल के तहत 10 अपशिष्ट श्रेणियों के लिए विनियामक ढांचे स्थापित किये हैं। इनमें लिथियम-आयन बैटरी, ई-कचरा, खतरनाक औद्योगिक कचरा, स्क्रैप मेटल, टायर और रबर, जीवन के अंत में वाहन, जिप्सम, प्रयुक्त तेल, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और सौर पैनल शामिल हैं।

इस अवसर पर फिक्की के अध्यक्ष डॉ अनीश शाह ने कुल बिजली में 2030 तक 50 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में प्रगति का उल्लेख किया और कहा, “ भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की लागत खनिज ईंधन पर आधारित बिजली की लागत की 40 प्रतिशत है, और यह हमारे ऊर्जा परिदृश्य को तेजी से बदलने में मदद कर रही है। ”

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