कांग्रेस ने की बलरामपुर कांड की न्यायिक जांच कराने की मांग
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की बिगड़ती कानून व्यवस्था विशेषकर बलरामपुर में पुलिस हिरासत में मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने और इस मामले की उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है;
रायपुर। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की बिगड़ती कानून व्यवस्था विशेषकर बलरामपुर में पुलिस हिरासत में मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने और इस मामले की उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में कोतवाली में हुई गुरुचरण मण्डल की मौत की आग थमने का नाम नही ले रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार अपने वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से सरकार को घेर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रविवार को राजीव भवन में पत्रकार वार्ता काे संबोधित करते हुये कहा कि बलरामपुर में पुलिस की कस्टडी में एक युवक गुरुचरण मंडल की मौत हो गयी। पुलिस का दावा है कि मृतक गुरुचरण की मौत बाथरूम में फांसी लगाने से हुई है।
बैज ने कहा कि सारे तथ्य बताते हैं कि बलरामपुर में युवक गुरुचरण मंडल की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है। मृतक की पत्नी 29 सितंबर को लापता हो गई थी। गुरुचरण को उसके पिता के साथ उसकी पत्नी के लापता होने के संबंध में पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया था।
मृतक के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने चार दिनों से उसे तथा उसके पिता को थाने बुलाया था तथा इस दौरान उसे थाने में हिरासत में रखा गया था।
गुरुचरण के पिता ने कहा,“पिछले 20 दिनों से मेरी बहू लापता है और मैं अपने बेटे के साथ तीन दिनों से हिरासत में हूं। पुलिस ने हमें बेरहमी से पीटा। बलरामपुर पुलिस की वजह से मैंने अपने बेटे को खो दिया।”
बैज ने कहा,“हमारा सवाल सरकार से है कि किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। गुरुचरण, उनके पिता तथा एक अन्य को चार दिनों तक थाने में हिरासत में क्यों रखा गया? 24 घंटे के भीतर कोर्ट में क्यों प्रस्तुत नहीं किया गया? मृतक के पास टॉवेल (तौलिया) कहां से आया जबकि उसके पिता का कहना है उसके पास कोई टॉवेल नहीं थी? मृतक के शरीर का पंचनामा परिजनों व परिचितों के सामने क्यों नहीं किया गया? मृतक के परिजन शव को दफनाने की मांग कर रहे थे, पुलिस जलाना क्यों चाहती थी, हालांकि बाद में दबाव के कारण दफनाया गया।”
उन्होंने कहा,“मृतक के शव को थाने से अस्पताल ले जाते उसके पिता ने देखा लेकिन उसके मौत की जानकारी थाने में उनको क्यों नहीं दिया गया? हमारी मांग है इस मामले की उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराया जाये। इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी तथा टीआई की भूमिका संदिग्ध है, उन सबके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाये। मृतक के शरीर का डॉक्टरों का दल बना कर फिर से पोस्टमार्टम कराया जाये। मृतक के परिवार को एक करोड़ मुआवजा दिया जाये।”
श्री बैज ने कहा कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था की नैतिक जिम्मेदारी लेकर गृह मंत्री को बर्खास्त किया जाये। राज्य में कानून-व्यवस्था बेलगाम हो चुकी है राज्य में रोज-रोज घट रही घटनायें यह साबित करने के लिये पर्याप्त है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है तथा आपराधिक घटनायें रोक पाना सरकार के बस की बात नहीं है। ऐसी नकारी और निक्कमी सरकार को तत्काल बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिये। जब जनता अपने जान-माल की सुरक्षा तथा अपराधियों और आपराधिक घटनाओं के विरोध में खुद सड़कों पर उतर जाये तथा राज्य के हालात अराजक हो जाये तब ऐसी सरकार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि बलरामपुर में महिलाओं ने पुलिस पर हमला कर दिया। सरकार की अकर्मण्यता का नतीजा है जनता को अब पुलिस और सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है।जनता सरकार की क्षमता और पुलिस की दुर्भावनापूर्वक कार्यवाहियों के खिलाफ विद्रोह पर उतर आई है। पुलिस की अक्षमता और सरकार के अनिर्णय के कारण बलौदाबाजार में एसपी, कलेक्टर कार्यालय जला दिया गया, सूरजपुर में अपराधी के घर पर हमला करने गयी भीड़ ने एसडीएम को पीटने के लिये दौड़ा दिया, उनको भागकर जान बचानी पड़ी। कवर्धा में पुलिस से न्याय की उम्मीद छोड़ चुकी जनता ने एक व्यक्ति को उसके घर में जिंदा जला दिया।
श्री बैज ने कहा कि बलरामपुर मामले को लेकर कांग्रेस छेड़ेगी जन आंदोलन। इसके तहत रविवार को सभी जिला मुख्यालयों में पुतला दहन, 28 अक्टूबर को सभी जिला कांग्रेस कमेटी में पत्रकार वार्तायें तथा तीन नवंबर को प्रदेश के सभी जिलों में धरना प्रदर्शन किया जायेगा।