सुस्त हुये चुस्त, पुलिस हुई सख्त, अपराधी हुये पस्त
एसपी ने जिला पुलिस में छायी सुस्ती को दूर कर दिया है। अब पुलिस चुस्त के साथ ही सख्त भी हो गयी है। और अपराधी पस्त हो रहे है;
एसपी ने जिला पुलिस में छायी सुस्ती को दूर कर दिया है। अब पुलिस चुस्त के साथ ही सख्त भी हो गयी है। और अपराधी पस्त हो रहे है।
यदि ऐसी ही फुर्ति बनी रही तो कानून व्यवस्था तो बेहतर होगी ही साथ ही अपराध भी घटेंगे। एसपी ने बेहतर ड्यूटी करने वाले यातायात जवानों का बढ़ाया हौसला समुदायिक पुलिसिंग का दिख रहा सार्थक परिणाम, सट्टा-जुआ जैसे सामान्य अपराधो पर अब थानों की पुलिस है ज्यादा सक्रिय, क्राईम ब्रांच की जगह हो सकता है स्पेशल ब्रांच का गठन और काम भी होगा स्पेशल।
पूर्व क्राईम ब्रांच प्रभारी का कार्यकाल रहा यादगार, तेलीनसत्ती हत्या काण्ड पुलिस के लिये बनी गले की फांस अब तक अनसुलझी पहेली बना हुआ है क्राईम ब्रांच से थानों में पदस्थ हुये सदस्य।
जब एसपी ने बढ़ाया जवान का हौसला :-
वैसे तो एसपी जिला पुलिस का मुखिया होता है और उनके इशारे पर ही विभाग दौड़ता है। लेकिन जब नियमकायदों की बात आती है तो सभी समान हो जाते है और एसपी ने भी इस बात को समझा दरअसल पिछले दिनों एसपी अपने शासकीय वाहन से जा रहे थे तभी ट्रैफिक सिग्नल पर तैनात जवान ने सिग्नल बंद होते ही हाथ दिखाया लेकिन साहब के ड्राईवर ने गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ा दी इस घटनाक्रम के बाद जब एसपी कार से उतरे तो जवान सकपका गया लेकिन अगले ही पल एसपी ने सकारात्मक रवैये और अपनी ड्यूटी बेहतर ढंग से निभाने के लिये जवान को शाबासी दी और हौसला बढ़ाया और अपने ड्राईवर की गलती भी मानी।
सामुदायिक पुलिसिंग का असर :-
एसपी रजनेश सिंह ने चार्ज लेते ही सबसे पहले पुलिस की गश्त बढ़ायी और समुदायिक पुलिसिंग पर जोर दिया और अब इसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे है।
लोग महिलाओं, बच्चों सहित ठगी व अन्य अपराधों के प्रति जागरुक हो रहे है। वहीं यातायात नियमों की सीख लोगो को मिल रही है। जन सहयोग से सीसीटीवी कैमरे लगाये जा रहे है। महिला कमाण्डो कानून की सीमा में रहकर समाज सुधार में मदद कर रही है। यह सब एसपी के समुदायिक पुसिलिंग के प्रयासो का परिणाम है।
सट्टा-जुआ भी न पकड़ पाये तो :-
नये एसपी ने तोजैसे पुलिसिंग की कार्यप्रणाली ही बदल दी है। पहले जहां सामान्य से लेकर गंभीर अपराधों को साल्व करने क्राईम ब्रांच पर निर्भर रहना पड़ता था।
आलम तो यह था कि क्राईम ब्रांच जुआ सट्टा जैसे सामाजिक बुराई पकड़ती थी थानों की पुलिस यह काम भी ठीक से नहीं कर पाती थी। लेकिन अब एसपी ने थानों की पुलिस को समझाया है कि थाना क्षेत्रो में छोटे-मोटे मामलों से थानों की पुलिस ही निपटाएंगी।
अब एसपी के इस पहल व सख्ती के बाद चौक-चौराहो में चर्चा हो रही है कि भारी भरकम दल बल वाली थानों की पुलिस जुआ सट्टा भी पकड़ न पाये तो यह कैसी पुलिस?
स्पेशल ब्रांच-स्पेशल काम :-
क्राईम ब्रांच भंग हो चुका है ऐसे में इस बात की चर्चा होने लगी है कि अगला क्राईम ब्रांच प्रभारी कौन होगा ? और टीम में कौन सदस्य होंगे?
इन सब के बीच एसपी यह भी कह चुके है कि क्राईम ब्रांच की जगह स्पेशल टीम का गठन किया जा सकता है जो सिर्फ विशेष अपराधों पर काम करेगा और टीम में टेक्निकल पुलिस वालों को मौका दिया जायेगा।
एसपी के इस कथन के बाद से कई पुलिस वालों का पत्ता पहले ही साफ हो गया है क्योकि वे अब तक हाईटेक नहीं हो पाये है।
यादगार रहा कार्यकाल :-
काफी समय तक जिला क्राईम ब्रांच के प्रभारी रहने के बाद रमेश साहू का तबादला करेलीबड़ी चौकी कर दिया गया। उनके तबादले के बाद इस बात की चर्चा हो रही है कि वे सबसे सफल प्रभारी रहे क्योंकि उनके कार्यकाल में क्राईम टीम ने गंभीर अपराधों पर पुलिस की सफलता का ग्राफ कई गुणा बढ़ा दिया।
उनके खाते में कई ऐसे में मामलो की सफलता है जिसकी उम्मीद लोगो को कम ही थी। अब जब उनका ट्रांसफर हो गया है लोग उनके कार्यकाल और सफलता को याद कर रहे है।
पुलिस सख्त, अपराधी पस्त :-
जब से एसपी रजनेश सिंह जिले में पदस्थ हुये है अपराधियों व संदिग्धों के प्रति पुलिस की सख्ती कई गुणा बढ़ गयी है। जगह-जगह चेकिंग होटल, ढाबो की चेकिंग किरायादारों की जानकारी आदि जानकारी ली जा रही है। चर्चा है कि पुलिस ने पहली बार ऐसा दम दिखाया है ऐसा माहौल बना दिया है कि पुलिस सख्त हो गयी है और अपराधी पस्त।
अनसुलझी पहली :-
तेलीनसत्ती ट्रिपल मर्डर केस पुलिस के लिये सिरदर्द साबित हो रही है। लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस को अहम सुराग नहीं मिल पा रहा है।
पुलिस अब तक हत्या की गुत्थी में उलझी हुयी है। अब चर्चा होने लगी है क्या यह हत्याकांड भी खपरी जैसा ही अनसाल्व रहेगा? क्या अपराधी इतने शातिर हो गये है कि पुलिस को एक क्लू तक नहीं मिल पा रहा है? क्या यही परफेक्ट क्राईम है?
खैर अभी तक के जांच में यही लग रहा है लेकिन पुलिस ने हौसला नहीं खोया है और जांच लगातार जारी है। शायद कुछ निकले आये और हत्यारे सलाखों के पीछे हो?
इनके परफामेंस पर निगाह :-
क्राईम ब्रांच भंग होने के बाद सदस्यों को थानों में पदस्थ किया जा रहा है। क्राईम टीम में तो इनकी परफारमेंस अच्छी भी और अपराधियों पर भारी पड़ते रहे, लेकिन अब थानों में इनकी परफार्मेस पर निगाह होगी?
क्योकि टीम के भंग होने के बाद लाईन अटैच हुये फिर चंद दिनों में ही थानों में पोस्टिंग हो गयी मतलब साफ है कि इनके अनुभव का लाभ लेने पोस्टिंग की गयी है। अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि ये उम्मीदों पर खरा उतर पाते है या नही?