शहीद परिवार को नहीं मिल पा रहा न्याय
सरसीवां/बलौदाबाजार ! 28 जनवरी 2014 को कुआ कोण्डा नक्सल हमले में नक्सलियों से मोर्चा लेते हुए एस.आई.विवेक शुक्ला शहीद हुए थे ।;
शहीद स्मारक एवं शहीद के नाम पर स्कूल नामकरण की गई थी घोषणा
सरसीवां/बलौदाबाजार ! 28 जनवरी 2014 को कुआ कोण्डा नक्सल हमले में नक्सलियों से मोर्चा लेते हुए एस.आई.विवेक शुक्ला शहीद हुए थे । एस.आई. शहीद विवेक शुक्ला कुआ कोण्डा थाना प्रभारी के रूप में पदस्थ थे। सरसीवां निवासी शहीद विवेक शुक्ला की शहादत को आज तीन बरस बीत चुके पर शहीद परिवार को आज भी न्याय नहीं मिल पा रहा है। न हीं शहीद के नाम पर स्कूल का नामकरण हुआ, न हीं शहीद स्मारक बन पाया और न हीं परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी मिल पाई ।
शहीद विवेक शुक्ला के शहादत पर प्रभारी मंत्री पुन्नु लाल मोहले तथा क्षेत्रीय सांसद श्रीमती कमला पाटले द्वारा शहीद परिवार एवं आम जनता के बीच शहीद विवेक शुक्ला के नाम पर स्कूल नामकरण एवं शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की गई थी जो आज पर्यंत पुरी नहीं हुई। लोगों का कहना है कि यह राजनैतिक घोषणाओं की तरह कथा सुनी बनकर रह गई। वहीं शहीद परिवार इस मांग को लेकर बार-बार ंजिला मुख्यालय एवं राज्य के मुखिया से गुहार लगा चुके है बावजुद इसके आज तक इस संबंध में उन्हे आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला। तीन बरस बीत जाने के उपरांत भी न तो शहीद स्मारक बन पाया, न हीं किसी स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया गया, और न हीं अनुकम्पा नियुक्ति मिली।
परिवार के मुखिया जिनकी उम्र लगभग 63 वर्ष होने जा रही जिनका स्वास्थ्य भी अब ठिक नहीं रहता उनके द्वारा बार-बार जिला मुख्यालय एवं मुख्मंत्री के पास इस संबंध में गुहार लगाई गई पर उन्हे आश्वासन के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगा। बडे ही दुर्भाग्य का विषय है कि घोषणांए तो कर दी जाती है पर जमीनी स्तर पर उन घोषणाओं को पुरा करने की ओर शासन प्रशासन ध्यान नहीं देती। विडम्बना है कि शहीद की शहादत पर की गई घोषणा भी केवल घोषणा बन कर रह गई है। शहीद विवेक शुक्ला के पिता जयप्रकाश शुक्ला का कहना है कि मुझे गर्व है की मैं शहीद विवेक शुक्ला का पिता हूं, जिसने नक्सलियों से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुती दे दी। वहीं शहीद परिवार के साथ-साथ क्षेत्र की जनता ने शासन प्रशासन से शहीद विवेक शुक्ला की स्मृति में स्कूल का नामकरण एवं शहीद स्मारक जल्द से जल्द बनाए जाने की मांग की है, जो कि पूर्व में घोषणा भी हुई थी और शहीद परिवार द्वारा प्राथमिकता पूर्वक मांग की गई थी।