फ्रेच मीडिया, पित्रोदा के बीच संबध देखते हैं ट्विटराती
सोशल मीडिया पर फ्रांस के दैनिक अखबार ले मोंडे और सैम पित्रोदा के बीच संबंध को लेकर चर्चा चल रही है;
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर फ्रांस के दैनिक अखबार ले मोंडे और सैम पित्रोदा के बीच संबंध को लेकर चर्चा चल रही है।
चर्चा यह है कि भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक पित्रोदा का फ्रांस के अरबपति जेवियर नील से करीबी व्यावसायिक संबंध है। नील का ले मोंडे में सह-स्वामित्व है।
नील का मुख्य कारोबार दूरसंचार है। फॉर्ब्स डॉट कॉम का कहना है कि नील की स्वामित्व वाली फ्री मोबाइल कंपनी की मूल कंपनी आईलेड में उनकी 55 फीसदी हिस्सेदारी है।
सोशल मीडिया पर शनिवार से शुरू हुई चर्चा के साथ लगातार किए जा रहे पोस्ट की रफ्तार बढ़ गई है, जिनमें चर्चा चल रही है कि पित्रोदा ने नील की कंपनी में वास्तव में निवेश किया है।
ट्विटर हैंडल 'एट द रेट लीगलकांत' का इस्तेमाल करने वाले रविकांत ने एक पोस्ट में कहा, "इसलिए मूल रूप से ले मोंडे के सह-स्वामी का सैम पित्रोदा के साथ संबंध है और ले मोंड का मुख्य फ्रेंच मीडिया प्रतिस्पर्धी फिगारों का स्वामित्व दसॉ के पास है। क्या ले मोंड ने अपनी रिपोर्ट में इन तथ्यों को साझा किया है कि जोकि कांग्रेस के मुखौटा के लिए अधिक अनुकूल प्रतीत होता है।"
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, "कुछ लोगों को मालूम है कि जेवियर नील की कंपनी को सैम पित्रोदा के निवेश से फायदा हुआ है। सैम पित्रोदा ने कितनी सीमा तक निवेश किया है? "
उन्होंने कहा, "क्या सैम पित्रोदा जेवियर नील से किसी व्यावसायिक संबंध को इनकार कर सकते हैं?"
रविकांत के ट्वीट के सिलसिले में आईएएनएस ने पित्रोदा से व्हाट्सएप पर संपर्क किया और पूछा कि क्या नील के साथ उनका कोई संबंध है। इस पर पित्रोदा ने जवाब में कहा, "क्या आप जानते हैं कि वह कौन है और उनको कोई काम नहीं है। मुझे नहीं मालूम आपको यह कहां से मिला।"
रविकांत ने खुद को वकील से बने श्रम अर्थशास्त्री बताया जो ग्लोबल लेबर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने के बाद पेरिस के सोरबोने में पीएचडी शोधार्थी के रूप में श्रम बाजार विषय पर शोध कर रहे हैं।