संलग्रीकरण के खेल में स्कूली बच्चों का भविष्य चौपट

शिक्षकों के संलग्रीकरण के मामले में जिला पंचायत की शिक्षा समिति के फैसले को भी प्रशासन नहीं मान रहा है;

Update: 2017-06-22 17:31 GMT

दंतेवाड़ा। शिक्षकों के संलग्रीकरण के मामले में जिला पंचायत की शिक्षा समिति के फैसले को भी प्रशासन नहीं मान रहा है। जिला पंचायतों की बैठकों में संलग्रीकरण खत्म कर शिक्षकों को उनके मूल स्कूल में भेजने का प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। जिले में विज्ञान, गणित जैसे विषयों की कमियों को देखकर आउट सोर्सिंग के जरिये भर्ती हो रही है। इस पर हर सत्र में 50 लाख से ज्यादा की राशि खर्च की जाती है, लेकिन इन विषयों के मौजूदा शिक्षक कई दफ्तरों में संलग्र है, उन्हें स्कूलों में नहीं भेजा जा रहा है।

दंतेवाड़ा जिले में कितने शिक्षक विभिन्न दफ्तरों में संलग्र हैं, इनकी सही-सही जानकारी भी न तो शिक्षा विभाग देता है और न ही राजीव गांधी शिक्षा मिशन से कोई आंकड़ा उपलब्ध कराया जाता है, क्योंकि जानकारी अगर सार्वजनिक हुई तो संलग्रीकरण की आड़ में जारी खेल का पोल खुल सकता है, इसलिए इसे गोपनीय बनाकर रखा गया है। बीईओ, बीआरसी से लेकर सीआरसी और सीएसी जैसे पदों पर शिक्षकों को बिठाकर रखा गया है, जबकि इनमें विज्ञान, गणित के ही व्याख्याता और शिक्षक शामिल हैं। इस बार इन विषयों के शिक्षकों की कमी बताकर राज्य स्तर पर अनुबंधित दो निजी एजेन्सियों कॉल मी और प्राईम वन से आउट सोर्सिंग भर्ती करायी गयी। 60 से ज्यादा पदों पर बाहरी शिक्षकों की भर्ती हो रही है, जिस पर 10 महीने के सत्र में औसतन 5 लाख प्रति महीने का खर्च होने का अनुमान है। 

इधर इस पूरे मामले पर जिला पंचायत की शिक्षा समिति ने भी चिंता जतायी और कहा कि बच्चों के भविष्य के साथ किसी तरह खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। जिला पंचायत उपाध्यक्ष और शिक्षा समिति के सभापति मनीष सुराना कहते हैं कि उन्होंने दो बैठकों में संलग्रीकरण के मुद्दे पर प्रस्ताव लाया था। प्रस्ताव में संलग्रीकरण खत्म कर संबंधित शिक्षकों को स्कूलों में वापस भेजने की बात कही गयी थी, लेकिन इन प्रस्तावों पर अब तक अमल नहीं हो सका है। मनीष की माने तो जिले के चारों ब्लाक में संलग्रीकरण के कारण स्थिति काफी प्रभावित हो रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत कटेकल्याण ब्लाक में है, जहां के एकल शिक्षकीय विद्यालयों के शिक्षकों को भी दूसरी जगह संलग्र किया गया है। इन सभी संलग्र शिक्षकों को मूल स्कूल में भेजने की मांग वे काफी समय से करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

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