रंगभरी एकादशी : काशी में शुरू हुई शिव की रसोई

काशी में रंगभरी एकादशी पर बुधवार को शिव की रसोई का शुभारंभ हुआ। शिव की रसोई में पहले दिन बाबा को भोग लगे हुए प्रसाद का वितरण 11 तरह के व्यंजन बने, जिसे श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया;

Update: 2021-03-25 02:37 GMT

वाराणसी। काशी में रंगभरी एकादशी पर बुधवार को शिव की रसोई का शुभारंभ हुआ। शिव की रसोई में पहले दिन बाबा को भोग लगे हुए प्रसाद का वितरण 11 तरह के व्यंजन बने, जिसे श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया की पहले चरण में शिव की रसोई में दोपहर में बाबा को भोग लगे हुए प्रसाद का वितरण 1 बजे से 3 बजे तक का होगा।

उन्होंने बताया कि तमिलनाडु की एक संस्था श्री काशी नाट्कोटाइ नगर क्षेत्रम अभी अन्न क्षेत्र में प्रसाद वितरण करेगी। शिव की रसोई में अभी दक्षिण भारतीय व्यंजन ही परोसा जाएगा। यहां करीब 500 से अधिक लोग बाबा का प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। कोई भी श्रद्धालु 11000 रुपये दान देकर इसमें भागीदार बन सकता है।

वर्मा ने बताया कि दानदाता के लिए उस दिन का सुगम दर्शन और एक आरती की व्यवस्था होगी। करीब 17018 वर्गफीट में लगभग 13 करोड़ रुपये की लगात से बने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अन्न क्षेत्र का लोकार्पण फरवरी, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। ये भूतल प्लस 5 मंजिला भवन पूरी तरह वातानुकूलित है। यहां बड़ी रसोई व भक्तों के बैठकर खाने के लिए बड़े हाल हैं।

ऐसी मान्यता है कि काशी में कोई भूखा नहीं सोता है, क्योंकि यहां माता अन्नपूर्णा विराजमान हैं। काशी में जगत के पालनकर्ता भगवान शिव ने भी माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। अब काशी में रंगभरी एकादशी के दिन शिव की रसोई शुरू हो गई। यहां कोई भी नि:शुल्क भोजन कर सकता है। प्रथम चरण में दोपहर का ही भोजन मिलेगा। अन्न क्षेत्र में 500 भक्त प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। रंगभरी एकादशी के दिन जब गौरा गौने जाती हैं। इसी दिन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अन्न क्षेत्र यानी शिव की रसोई की शुरुआत हुई है।

काशी में रोजाना दुनियाभर से लाखों धार्मिक व आध्यात्मिक पर्यटक आते हैं। काशी में उनको बाबा का भोग लगा प्रसाद ग्रहण करने को मिल जाए तो श्रद्धालु अपने को धन्य मानते हैं। मान्यता है कि काशी में मां अन्नपूर्णा सबको अन्न देती हैं, तो वहीं भगवान शिव मोक्ष देते हैं। पिछले साल ही इस अन्न क्षेत्र को शुरू होना था, लेकिन कोविड के कारण शुरू नहीं हो पाया। मगर इस साल कोरोना काल में ही शिव की रसोई में लोगों के लिए भोजन बना व जनता में वितरित भी हुआ।
 

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