राजस्थान :बाड़मेर की सातों सीटों पर त्रिकोणात्मक जबकि जैसलमेर में सीधा मुकाबला

बाड़मेर जिले की बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने अपने सांसद कर्नल सोना राम को चुनाव मैदान में उतारा;

Update: 2018-12-04 13:54 GMT

बाड़मेर । राजस्थान विधानसभा चुनाव में सीमांत बाड़मेर जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं कांग्रेस के सामने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) एवं निर्दलीय के कारण त्रिकोणात्मक तथा जैसलमेर जिले की दोनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला नजर आने लगा हैं।

बाड़मेर जिले की बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने अपने सांसद कर्नल सोना राम को चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि कांग्रेस ने दो बार जीतने वाले विधायक मेवाराम जैन को फिर मौका दिया हैं। यहां निर्दलीय राहुल कुमार के चुनाव मैदान में कूद जाने से मुकाबला त्रिकोणात्मक होने के आसार हैं।

कर्नल सोना राम चार बार लोकसभा सदस्य चुने गये हैं और वर्ष 2008 में वह कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में बायतु से विधायक चुने गये थे। उनका क्षेत्र में राजनीतिक प्रभुत्व रहा हैं लेकिन श्री जैन का भी दो बार विधायक चुने जाने से राजनीतिक प्रभुत्व बढा हैं मगर निर्दलीय की वजह से मुकाबला त्रिकोणात्मक बनता जा रहा हैं।

बाड़मेर में अब तक छह बार कांग्रेस का कब्जा रहा हैं जिसमें सबसे अधिक चार बार वृदि्ध चंद जीते हैं। बाडमेर से भाजपा के केवल तागाराम ही चुनाव जीत सके हैं जबकि दो बार आरआरपी, एक बार लोकदल एवं एक बार जनता दल ने चुनाव जीता हैं। इस बार यहां से तीन निर्दलीय सहित आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 

जिले की सिवाना सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक हमीर सिंह भायल पर फिर भरोसा जताया हैं जबकि कांग्रेस ने नया चेहरा पंकज प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा हैं। निर्दलीय वालाराम चौधरी के चुनाव मैदान में होने से यहां चुनावी मुकाबला त्रिकोणात्मक होने के आसार हैं। सिवाना से अब तक कांग्रेस छह बार चुनाव जीत चुकी हैं जबकि भाजपा वर्ष 1990 एवं 2008 में ही चुनाव जीत सकी हैं। सिवाना से इस बार सात निर्दलीय सहित सोलह प्रत्याशी अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

पचपदरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी को फिर चुनाव लड़ाया हैं जबकि कांग्रेस ने पिछला चुनाव हार चुके मदन प्रजापत पर भरोसा जताया हैं। यहां कांग्रेस के बागी प्रत्याशी के चुनाव मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणात्मक होने के आसार बन रहे हैं। हालांकि भारत वाहिनी पार्टी एवं शिव सेना के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं।

पचपदरा से  अमराराम वर्ष 1980 एवं 1998 में भी चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने पिछली बार मदन प्रजापत को 23 हजार से अधिक मतों से हराया। यहां कांग्रेस की मदन कौर 1967 से 1977 तक लगातार तीन बार चुनाव जीती हैं। इस बार यहां से आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

इसी तरह शिव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने मौजूदा विधायक मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में चले जाने से नया चेहरा खुमाण सिंह सोढा को चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री अमीन खां को टिकट दिया हैं। अमीन खां वर्ष 1998 एवं 2008 में विधायक रह चुके हैं। मानवेन्द्र सिंह का क्षेत्र में राजनीतिक प्रभुत्व होने तथा अमीन खां के भी कांग्रेस का पुराना नेता होने के कारण कांग्रेस की स्थिति मजबूत मानी जा रही हैं लेकिन रालोपा उम्मीदवार उदाराम मेघवाल के चुनाव मेंदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणात्मक होने के आसार हैं। इस बार शिव से पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जिले की गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक लादूराम विश्नोई को मौका दिया हैं जबकि कांग्रेस ने पूर्व राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा हैं। श्री विश्नोई पिछले चुनाव में श्री चौधरी को 33 हजार 155 मतों से हराया था। कांग्रेस ने यहां से दस बार चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया हैं। 
इस बार दोनों के सामने रालोपा उम्मीदवार विजय सिंह के चुनाव मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणात्मक बनता जा रहा हैं। श्री चौधरी यहां से 1980, 1985, 1998, 2003 एवं 2008 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। त्रिकोणीय मुकाबले में श्री चौधरी का राजनीतिक प्रभुत्व एवं सत्ता विरोधी लहर के चलते श्री चौधरी की स्थिति मजबूत मानी जा रही हैं। इस बार यहां से नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
 

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