बीएल अग्रवाल को नहीं मिली जमानत,न्यायिक हिरासत बढ़ी
रायपुर ! आईएएस बाबूलाल अग्रवाल के सहित उनके अन्य साथियों की जमानत की अर्जी कोर्ट ने नामंजूर कर दी है।;
हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल से पहले जवाब मांगा
आईएएस गिरफ्तारी मामले में राज्य शासन, सीबीआई को नोटिस
रायपुर ! आईएएस बाबूलाल अग्रवाल के सहित उनके अन्य साथियों की जमानत की अर्जी कोर्ट ने नामंजूर कर दी है। कोर्ट में वकील ने बाबूलाल एवं साथियों के जमानत के लिए कोई ठोस पक्ष नहीं रख पाया जिसके चलते उनकी जमानत की अर्जी को नामंजूर कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के सीनियर आईएएस बाबूलाल अग्रवाल को सीबीआई ने 18 फरवरी को गिरफ्तार किया था जिसका कारण सीबीआई में चल रहे किसी पुराने मामले में रिश्वत की बात सामने आई थी। इस मामले में दो और लोगों की गिरफ्तारी हुई थी जिसमें नोएडा के भगवान दास और हैदराबाद के सैय्यद बुरहानुद्दीन है इन तीनों को सीबीआई पूछताछके लिए दिल्ली लेकर गई थी जहां उनको तिहाड़ जेल में रखा गया है। वहीं बाबूलाल के साले आनंद अग्रवाल जमानत के लिए पटियाला हाऊस कोर्ट में अर्जी लगाई थी जिसमें कल सुनवाई में कोर्ट ने तीनों के जमानत के अर्जी को नामंजूर कर दिया है साथ ही अभी ये तीनों 30 मार्च तक जेल में ही रहेंगे। वहीं सीबीआई का कहना है कि उनके पास बाबूलाल के खिलाफ पर्याप्त सबूत है उन्हें दोषी करार दिलाने के लिए।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने जमानत की अपील को खारिज करते हुए इन्हें 30 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दी है सीबीआई के वकील का पक्ष बाबूलाल के वकील के पक्ष में दमदार साबित हुआ। सीबीआई के वकील ने कोर्ट में कहा कि इनके खिलाफ आधे से ज्यादा सबुत इक्ट्ठे किये जा चुके है। जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है जिसके चलते इनको हिरासत में रखना जरूरी है। कोर्ट ने सीबीआई की पक्ष को सही मानते हुए बाबूलाल सहित उनके साथियों की जमानत की अर्जी नामंजूर कर दी साथ ही उनको 30 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में आईएएस बाबूलाल अग्रवाल की गिरफ्तारी की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी द्वेषपूर्ण और अवैध है क्योंकि सीबीआई को गिरफ्तारी का सीधे कोई अधिकार नहीं है। उसे इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। जस्टिस पी.सैम कोशी की सिंगल बेंच ने चुनौती याचिका के पक्ष में तर्क सुनने के बाद राज्य शासन और सीबीआई को जवाब के लिए नोटिस जारी करने का आदेश दिया। याचिका में श्री अग्रवाल की गिरफ्तारी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए कहा गया है कि सीबीआई को कार्रवाई करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कनक तिवारी के द्वारा की गई। उन्होंने उच्चन्यायालय को इस बात से भी अवगत कराया कि वर्ष 2010 में बी एल अग्रवाल के विरुद्ध की गई सीबीआई की कार्रवाई अवैध थी और केन्द्र सरकार द्वारा जारी अन्वेषण की अधिसूचना को वर्ष 2011 में ही दिल्ली उच्च न्यायालय में राज्य शासन की सहमति नहीं होने के आधार पर चुनौती दी थी। सीबीआई जो कि एक विशेष पुलिस बल है उसे केवल दिल्ली राज्य की भौगोलिग सीमा के भीतर कार्रवाई करने का अधिकार दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के अंतर्गत है। किसी दूसरे राज्य जैसे छत्तीसगढ़ की भौगोलिक सीमा में कार्रवाई करने के लिए राज्य शासन के द्वारा लिखित सहमति होना चाहिए। छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2012 में ही अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि सीबीआई को प्रत्येक केस के लिए राज्य शासन से सहमति अलग से मांगने की आवश्यकता है।