क्या भूपेश कर पाएंगे कांगे्रस संगठन में बड़ी सर्जरी?
रायगढ़ ! राजनीति के चौसर में जनता के द्वारा रायगढ़ जिले में पीटी और हारी पार्टी कांगे्रस का संगठन बद से बदतर स्थिति की ओर है स्वयंभु मै को अहम का लिबास ओढे रायगढ़ जिले को कांगे्रस;
जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी कहीं ले न डूबे पार्टी को
रायगढ़ ! राजनीति के चौसर में जनता के द्वारा रायगढ़ जिले में पीटी और हारी पार्टी कांगे्रस का संगठन बद से बदतर स्थिति की ओर है स्वयंभु मै को अहम का लिबास ओढे रायगढ़ जिले को कांगे्रस संगठन की यदि जमीन को नापें तो इंच भर की जमीन भी नाप में नही आयेगी। प्रदेश कांगे्रस संगठन के द्वारा भेजे गये कार्यक्रमों को कटने में ही थकने वाली यह कांगे्रस इन कार्यक्रमों के समाप्त होते ही संख्या बल व उपस्थिति का मिलान करके केवल कार्यक्रमों से हाय-हलो कर लेती है। अपने पीठ थपथपाकर शहर व ग्रामीण संगठन के ओहदेदार पूरोधा निश्चित ही स्वयं मूंह मियां मिट्टु बन जाते है और खुद ही अपनी पीठ थपथपाते दिखते है कि उन्होंने ताडी के पेड़ से उजाले के पहले जनता के मनोरंजन के लिए ताडी की मटकी को नीचे उतार लिया है।
विधानसभा चुनाव में जहां लगभग अभी-अभी साल बाकी है वहां बगरंडे व कुकुरमुत्ते की तरह प्रत्याशी बनने की इच्छा अपने रहनुमाओं को लोग बता चुके है। इस चुनाव को लडऩे के लिए कांगे्रस रायगढ़, सारंगढ़ व लैलूंगा, जहां पर पिछले चुनाव में कांगे्रस को 15 हजार से अधिक वोटों से हार मिल चुकी है। कहीं उसमें यही आंकलन व समीक्षा नही की कि इन हार के कारण क्या थे और उसमें यदि नये प्रत्याशी आने वाले चुनाव में उतारे जाएं तो उनके मापदण्डी पृष्ठभूमि और संघर्ष को प्राथमिकता दी जायेगी या अनुशंसाओं को बल मिलेगा कहीं ऐसा तो नही हो जायेगा कि जिस प्रकार जिला कांगे्रस कमेटी के पदाधिकारियों का चयन किया गया और कांगे्रस जिले में हर जगह बैकफुट पर आते दिखी, ऐसी परिस्थिति में मतदाता भी ऐसी मानसिकता बनाये हुए है कि कांगे्रस के फेशियल रूपी अनुशंसाओं को नकार करके दुलती मारने की मंशा रखते हैं। यदि समय रहते भाजपा और उसके प्रशासन के खिलाफ कांगे्रस के संगठन के पदाधिकारी व जनप्रतिनिधी खुले तौर पर और ईमानदारी से लड़ाई लडऩे की मंशा नही बनायेंगे तो राजेश खन्ना की रोटी फिल्म का वो गाना बाबू! ये पब्लिक है सब जानती है सेटिंग क्या है बेटिंग क्या है ये सब जानती है। जनचर्चाओं में हमेशा यह रहा है कि इंकलाबी भगत सिंह का माददा रखने वाला कांगे्रस कार्यकर्ता रहे, और उसका फायदा कांगे्रस के ओहदेदार लोग उठाते रहें। हमेशा ही रायगढ़ जिले में कांगे्रस कार्यकर्ताओं का तिरस्कार हुआ है और अब जबकि कांगे्रस कार्यकर्ता यह सब जान चुका है कि उनका हमेशा शोषण होते रहा है , तो वह खुद ही समझदारी से जिले के शीर्ष नेताओं की ओर नजरें गड़ाए हुए है कि प्रशासन के खिलाफ वे कुछ ईमानदारी े लडाई लडेंगे तो ही कार्यकर्ता उनका साथ देने इकट्ठा होंगे। वैसे रायगढ़ जिले में कांगे्रस के सूत्रों के अनुसार रोज कोई न कोई पदाधिकारी असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे रहा है और गुटीय लडाई की चरम सीमा पर है ऐसी परिस्थितियों में यदि संगठन ही शून्य हो जायेगा तो कांगे्रसियों की जनवेदना किसके समक्ष होगी यह तो 10 जनपथ ही निर्धारित करेगा पर यह अवश्य है कि रायगढ़ जिले में चहुं ओर कांगे्रस संगठन चिराग तले अंधेरे के समान है।