सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति पर उठे सवाल

 निगम आयुक्त द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को कंसलटेंट व ओएसडी के रूप में नियुक्त किए जाने को लेकर निगम पार्षद राजीव चौधरी ने कई सवाल उठाए;

Update: 2018-03-27 13:48 GMT

नई दिल्ली।   निगम आयुक्त द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को कंसलटेंट व ओएसडी के रूप में नियुक्त किए जाने को लेकर निगम पार्षद राजीव चौधरी ने कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में एक नहीं बल्कि दो-दो आयुक्त कार्यरत हैं।

असली आयुक्त डॉ. रणबीर सिंह राजनीतिक कार्यों के लिए हैं तो दूसरे आयुक्त कैप्टन(सेवानिवृत्त) डीपीएस तोमर हैं, जो सारे प्रशासनिक कार्य करते हैं। उन्होंने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक में कई अन्य पूर्व अधिकारियों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए गए।

चौधरी द्वारा उठाए गए मामलों को सत्ता पक्ष के कई पार्षदों से लेकर विपक्ष ने भी समर्थन किया। सदन में इस मामले को जोर-शोर से उठाते हुए निगम पार्षद राजीव चौधरी ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम और भारत सरकार के जनरल फाइनेंस रूल का हवाला देते हुए बताया कि आयुक्त के ओएसडी के रूप में तोमर की नियुक्त 1 मई 2015 को की गई थी। नियम के अनुसार आयुक्त ए व बी श्रेणी के अधिकारियों के पद सृजित नहीं कर सकते हैं। इसका अधिकारी स्थायी समिति व सदन को है। 

स्थायी समिति द्वारा सिर्फ  छह माह के लिए ही उपरोक्त श्रेणी के पद सृजित कर नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन आयुक्त द्वारा न केवल तोमर की नियुक्ति की गई बल्कि हर छह माह पर कार्यकाल भी बढ़ाया गया। बायोमेट्रिक मशीन में हाजिरी देने से छूट सिर्फ आयुक्त को मिलती है लेकिन पूर्वी निगम में ओएसडी को भी इससे छूट मिली हुई है। इतना ही नहीं, उन्हें आयुक्त की तरह दो-दो गाड़ियां व दो-दो ड्राइवर भी दिए गए हैं। वह नियमों के विपरीत आयुक्त को मिलने वाली सुविधा का लाभ ले रहे हैं। 

इसी तरह वेटनरी विभाग में सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद डा. हरिलाल और वीएम जॉन को कंसलटेंट के रूप में नियुक्त किया गया। वीएम जॉन वहीं अधिकारी हैं जिन्होंने डीपीएस तोमर को ओएसडी के रूप में नियुक्त किया था। चौधरी ने कहा कि यह सारी नियुक्तियां गलत तरीके से की गई है। इस मामले की जांच के लिए विशेष समिति बननी चाहिए। 

आयुक्त ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेंगे और नियम के विपरीत होने पर कार्रवाई सुनिश्चि की जाएगी। संजय गोयल ने कहा कि अगर पार्षद अधिकारी को कुछ कहते हैं तो वह डीएमसी एक्ट का हवाला देते हैं लेकिन खुद ही नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। कुलदीप कुमार ने कहा कि नेता सदन व नेता प्रतिपक्ष को गाड़ी देने से मना कर दिया गया लेकिन ओएसडी को दो-दो गाड़ी दे दी गई है।

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