फर्जी हस्ताक्षर से जारी किया प्रमाण पत्र, रीडर को 4 साल की कैद
नायब तहसीलदार की आंखों में धूल झोंककर उनके फर्जी हस्ताक्षर से पक्षकारों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले रीडर को 15 साल बाद आये फैसले में 4 वर्ष की सश्रम कैद की सजा से दंडित किया गया है।;
कोरबा। नायब तहसीलदार की आंखों में धूल झोंककर उनके फर्जी हस्ताक्षर से पक्षकारों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले रीडर को 15 साल बाद आये फैसले में 4 वर्ष की सश्रम कैद की सजा से दंडित किया गया है। आरोपी वर्तमान में पसान उप तहसील मेंं पदस्थ था जिसे गिरफ्तार कर जेल दाखिल करा दिया गया।
लोनिवि कालोनी के मकान क्र. आरएच 07 का निवासी भागीरथी ध्रुव पिता झुनउराम 53 वर्ष पूर्व में कोरबा तहसील में लिपिक के पद पर कार्यरत था। उसने 23 दिसंबर 2002 के पूर्व नायब तहसीलदार आरके तंबोली के हस्ताक्षर की कूटरचना कर कई जाति, निवास और आय प्रमाण पत्र जारी किया था। रीडर होने के कारण राजस्व प्रकरण का प्रभार भी उसके पास था। प्रमाण पत्रों में सील, मोहर लगाने प्रकरण दर्ज कर नंबर देकर पंजीयन का भी काम वह करता था। इस दौरान 28 पक्षकारों को उसने नायब तहसीलदार आरके तंबोली का फर्जी हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र जारी किया। 22 दिसंबर 2002 को तहसील में कामकाज के दौरान श्री तंबोली ने जारी प्रमाण पत्रों के प्रकरणों का अवलोकन किया तो ऑर्डर शीट व प्रकरण पंजी में अपना हस्ताक्षर फर्जी होना पाया।
श्री तंबोली ने तहसीलदार व एसडीएम को इसकी जानकारी देकर रामपुर पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज करायी। पुलिस ने धारा 420, 468, 471 भादवि के तहत धोखाधड़ी एवं कूटरचना का जुर्म दर्ज कर 28 अप्रैल 2005 को आरोपी को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कराया। 15 वर्षों से विचाराधीन मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती उर्मिला गुप्ता ने दोष सिद्ध पाये जाने पर तीनों धाराओं में 4-4 वर्ष कठोर कारावास एवं 1-1 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड का भुगतान न करने पर 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।