क्या दादी इंदिरा गांधी की राह पर चल पड़ी है प्रियंका
उत्तर प्रदेश के चुनाव सफर पर निकली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का काफिला यूं तो मिर्जापुर से अपने अगले पड़ाव वाराणसी के लिये कूच कर चुका;
मिर्जापुर। पतित पाविनी गंगा की लहरों पर सवार होकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के चुनाव सफर पर निकली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का काफिला यूं तो मिर्जापुर से अपने अगले पड़ाव वाराणसी के लिये कूच कर चुका है लेकिन मनाेवांछित फल देने वाली विंध्यवासिनी देवी मंदिर में ‘गांधी परिवार’ के लिये जारी विशेष अनुष्ठान इस बात की तस्कीद कर रहा है कि कांग्रेस नेत्री ने राजनीतिक जीवन के सफर में दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी के रास्ते पर चलने का निश्चय किया हैै।
मंदिर सूत्रों के मुताबिक बिन्ध्याचल धाम में गांधी परिवार की मंगलकामना के लिए विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। प्रियंका ने मंगलवार को मां बिध्यवासिनी देवी के दरबार में हाजिरी लगायी थी। उनके बिन्ध्य धाम के अपने पारिवारिक पुरोहित पंडा को संकल्प देकर 'वरन 'दिये जाने की यहां अच्छी खासी चर्चा है।
गाँधी परिवार की मां बिध्यवासिनी देवी के प्रति अटूट श्रद्धा सर्व विदित है। इसकी शुरुआत 1980 में हुई जब प्रसिद्ध समाजवादी राजनारायण ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी को चुनाव में हराने के लिए बिन्ध्याचल में मनौती मांगा था। उन्होंने विजयी नहीं होने तक बाल दाढी भी न बनवाने का संकल्प लिया था। 1977 में चुनाव में विजयी होने के बाद मंत्री पद ग्रहण करने के बाद वे यहां मां के धाम में कृतज्ञता ज्ञापित करने आये और बाकायदा मुण्डन कराया था।
श्रीमती गांधी को पंडित कमलापति त्रिपाठी ने मां की महिमा बताकर दर्शन पूजन के लिए प्रेरित किया था। खुद त्रिपाठी मां के अनन्य भक्त थे अौर प्रत्येक पूर्णमासी को उनकी यहां उपस्थिति अनिवार्य थी। जो उनके जीवन भर चला। श्री त्रिपाठी की सलाह पर श्रीमती गांधी यहां आयी और पूरे विधि बिधान से पूजा अर्चना कर त्रिकोण परिक्रमा कर मनौती मांगी। वे 1980 में पुनः सत्तारूढ़ हुई।