​​​​​​राष्ट्रपति कोविंद ने कहा- कम पानी में फसलों का भरपूर उत्पादन हो

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कम से कम पानी में फसलों की भरपूर पैदावार लेने पर आज जोर देते हुए कहा कि जमीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए निरंतर नवाचार करते रहने की जरूरत है। ;

Update: 2018-02-09 18:41 GMT

नयी दिल्ली।  राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कम से कम पानी में फसलों की भरपूर पैदावार लेने पर आज जोर देते हुए कहा कि जमीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए निरंतर नवाचार करते रहने की जरूरत है। 

कोविंद ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की आबादी के अनुपात में खेती लायक जमीन और जल-संसाधनों की अपेक्षाकृत कमी है। इसलिए कम-से-कम पानी के इस्तेमाल से अधिक-से-अधिक पैदावार करने तथा जमीन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निरंतर नवाचार करते रहने की आवश्यकता है। 

उन्होंने कहा कि बीज से बाजार तक खेती की पूरी प्रक्रिया में नवाचार के अपार अवसर हैं। इन अवसरों का उपयोग करके विद्यार्थी कृषि-विकास में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां किसानों में जागरुकता पैदा करने के बाद इनोवेशन को उत्साह के साथ अपनाया है और अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई उत्साही युवाओं ने उच्च-शिक्षा पूरी करने के बाद, परंपरागत खेती से अलग कुछ नया करने का जोखिम उठाया। उन युवाओं ने फल, फूल, सब्जी के साथ रबी और खरीफ फसलों की खेती भी ‘आर्गेनिक’ तरीके से शुरू की। आज उनके रेड राइस, फलों और फूलों की मांग विदेशों में भी होने लगी है।

 कोविंद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने कृषि और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की है। कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 27.6 करोड़ टन अनाज, 30 करोड़ टन बागवानी फसलों, 16.4 करोड़ लीटर दूध, और एक करोड़ 10 लाख टन मछली का उत्पादन हो रहा है।

उन्होंने कहा, “ जहां पहले खाद्यान्न के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था वहीं आज हम जरूरतमंद देशों की मदद कर रहे हैं। यही नहीं, हम कृषि उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के साथ-साथ सरकार की नीतियों और कृषि विशेषज्ञों का विशेष योगदान है। ”

राष्ट्रपति ने संस्थान के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यहां से विकसित अनेक प्रजातियों के योगदान से देश  में गेहूं का रेकॉर्ड उत्पादन हुआ है तथा सब्जी की किस्मों से देश में खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिली है।

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