लोकपाल से डरते हैं पीएम मोदी: अन्ना हजारे 

किसानों के मुद्दे और जनलोकपाल को लेकर रामलीला मैदान में बैठे अन्ना हजारे की भूख हड़ताल का आज दूसरा दिन है।;

Update: 2018-03-24 18:32 GMT

नई दिल्ली।  किसानों के मुद्दे और जनलोकपाल को लेकर रामलीला मैदान में बैठे अन्ना हजारे की भूख हड़ताल का आज दूसरा दिन है। सात साल पहले की तरह ही अन्ना के तेवर बुलंद हैं लेकिन तब और अब के सियासी माहौल में फर्क इतना है कि पहले निशाने पर यूपीए सरकार थी और अब मोदी सरकार है। 

इस आंदोलन में अन्ना ने जमकर मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी और उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लोकपाल की नियुक्ति हुई, तो हिल जाएगी सरकार।

रामलीला मैदान एक बार फिर अन्ना की हुंकार गूंज उठा है अंदोलन के दूसरे दिन अन्ना ने जमकर बीजेपी पर निशाना साधा उन्होंने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के पीछे देरी का कारण यह है कि प्रधानमंत्री को डर है कि एक बार इसका वजूद बन जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके कैबिनेट के सदस्य इसके दायरे में आ जाएंगे इसीलिए वो चार साल में अब तक नियुक्ति नहीं कर पाए।

अन्ना ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वो सरकार के साथ आंदोलन के दौरान चर्चा करेंगे, लेकिन उनका अनिश्चितकालीन अनशन 'सत्याग्रह'सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्ययोजना आने तक जारी रहेगा।

अन्ना ने कहा कि अगर सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति नहीं की, तो उसका सत्ता से हिलना तय है इसके साथ ही किसानों की मांगों को लेकर भी अन्ना ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया।

उन्होंने कहा कि किसानों के अच्छे दिन लाने का वादा करने वाली सरकार को अब क्या हुआ कहां गए किसान हितैषी बनने वाले प्रधानमंत्री मोदी।

आपको बता दें कि अन्ना ने किसानों को लेकर मोदी सरकार के सामने कुछ प्रमुख मांगे रखी हैं उनकी मांग है कि जिन किसानों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है उसे 60 साल बाद 5000 हजार रु पेंशन दी जाए।

संसद में किसान बिल पारित हो। अन्ना ने आरोप लगाया कि सरकार उचित मूल्य तय करने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। उनकी मांग है कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को उचित मूल्य निर्धारण के लिए स्वायत्त बनाया जाना चाहिए। 


 

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