पुलिस अभिरक्षा में 172 मौतें, राज्य सरकार बता रही 13 मौत-अमित
पेण्ड्रा ! पुलिस एवं न्यायायिक अभिरक्षा में हुए असामयिक मौतों के मामले में पूछे गये सवाल पर मरवाही विधायक अमित जोगी को मिले सिर्फ 2 मिनट के समय में ही उन्होंने आंकड़ों के आधार पर गृहमंत्री को घेरा ।;
केन्द्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के आंकड़ों में अंतर
पेण्ड्रा ! पुलिस एवं न्यायायिक अभिरक्षा में हुए असामयिक मौतों के मामले में पूछे गये सवाल पर मरवाही विधायक अमित जोगी को मिले सिर्फ 2 मिनट के समय में ही उन्होंने आंकड़ों के आधार पर गृहमंत्री को घेरा । उन्होंने सदन में पूछा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा राज्यसभा को बताए गये मौतों की संख्या एवं विधानसभा को बताये जा रहे संख्या में जमीन-आसमान का फर्क क्यो है जबकि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के हवाले से ही राज्यसभा में बताया है कि छत्तीसगढ़ में पुलिस एवं न्यायिक अभिरक्षा में 172 मौतें हुई हैं और राज्य सरकार विधानसभा में सिर्फ 13 मौतों का होना बता रही है। मंगलवार को विधानसभा के प्रश्नकाल में अमित जोगी ने गृहमंत्री से पूछा था कि 2014 से 20 फरवरी 2017 तक कुल कितने लोगों की असामयिक मौत पुलिस एवं न्यायिक अभिरक्षा में हुई है जिस पर सरकार ने जवाब दिया था कि पुलिस अभिरक्षा में 9 तथा न्यायायिक अभिरक्षा में 4 मौतों सहित कुल 13 मौते हुई हैं। अमित जोगी ने गृहमंत्री से पूछा की राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री हरीभाई पारथीभाई चैधरी के द्वारा 4 मई 2016 को राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के हवाले से जवाब दिया गया था कि छत्तीसगढ में 166 लोगों की असामयिक मौत न्यायिक अभिरक्षा एवं 06 लोगों की मौत पुलिस अभिरक्षा में हुई है जबकि राज्य सरकार न्यायिक एवं पुलिस अभिरक्षा में सिर्फ 13 मौतों की जानकारी विधानसभा में दे रही है। उन्होंने पूछा कि राज्य सरकार के हवाले से राज्यसभा में दिये गये जानकारी एवं विधानसभा में दिये जा रहे जानकारी में जमीन आसमान का अंतर क्यों है घ् उन्होंने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सदन में बताया देशभर में पुलिस एवं न्यायायिक अभिरक्षा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के सर्वाधिक लोगो की मौत छत्तीसगढ में हुई है। अमित जोगी ने सदन में बताया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के द्वारा अक्टूबर 2015 से सितम्बर 2016 के बीच देश में सर्वाधिक पुलिस एनकंाउटर के 66 मामले छत्तीसगढ़ राज्य में दर्ज किये गये हैं। श्री जोगीे ने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अनुशंसा किया कि जिन 19 लोगो कि मौत न्यायायिक अभिरक्षा हुई है उन्हें 31 लाख रूपये मुआवजा दिया जाये तथा जो एक मौत पुलिस अभिरक्षा में हुई है उसे भी मुआवजा देने की अनुशंसा की गई है परन्तु सिर्फ दो प्रकरण में ही
शासन ने मुआवजा देने की जानकारी दी है। पुलिस एवं न्यायायिक अभिरक्षा में 90 प्रतिशत मौतों को सरकार आत्महत्या बता रही है जिस पर श्री जोगी ने कहा कि इन लोगो ने पुलिस की प्रताडऩा के कारण आत्महत्या किया है। पुलिस एवं न्यायायिक अभिरक्षा में हुए असामयिक मौतों के मामले में गृह मंत्रालय के द्वारा दिये गये जवाब पर अमित जोगी ने असंतोष व्यक्त किया है ।