पतंजलि की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने वाले दो धरे
पतंजलि की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने वाले दो ठग को पुलिस ने गिरफ्तार किया है;
ग्रेटर नोएडा। पतंजलि की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने वाले दो ठग को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान बिहार के शेखपुर सराय के रहने वाले अनूप वर्मा व त्रिपुरा के रहने वाले समीर के रूप में हुई है। गिरोह के तीन आरोपित अभी फरार चल रहे है। तलाश की जा रही है।
आरोपितों से पूछताछ के दौरान पता चला है कि अनूप बीए का छात्र है। उसने समीर से संपर्क कर पतंजलि की वेबसाइट बनवाई व पतंजलि की डिस्ट्री ब्यूटरशीप देने के नाम पर ठगी का धंधा करने लगे। आरोपितों ने नोएडा, चेन्नई, कर्नाटक, तमिलनाडू के रहने वाले कारोबारियों से दस-दस लाख की ठगी की थी।
आरोपित अब तक करोड़ों की ठगी कर चुके है। नोएडा के रहने वाले कारोबारी राजेंद्र वर्मा ने सेक्टर-20 कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद बुधवार रात आरोपितों को नोएडा के खोड़ा से गिरफ्तार किया गया। सीओ दादरी निशांक शर्मा ने बताया कि अनूप ने नोएडा के कारोबारी राजेंद्र वर्मा से कुल दस लाख की ठगी की। उन्होंने पतंजलि की फर्जी वेबसाइट पर नोएडा व गाजियाबाद में पतंजलि के डिस्ट्रीब्यूटर स्टोर के लिए आवेदन किया था।
ठगों ने उनसे 50-50 हजार रुपये दोनों स्टोर के रजिस्ट्रेशन व पांच-पांच लाख रुपये बतौर सिक्योरिटी मनी के रूप में हैदराबाद के एक खाते में जमा करा लिए। कारोबारी ने जब मिलने के लिए कहा तो आरोपित ने मना कर दिया। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह ठगी के शिकार हुए है। उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि बिहार के कई अलग-अलग नंबर से राजेंद्र वर्मा को फोन किया गया था। राजेंद्र वर्मा की आभूषण की दुकान भी है।
पुलिस जांच में पता चला है कि समीर ने पतंजलि की फर्जी वेबसाइट बनाई थी। इसके लिए उसे एक लाख रुपये दिए गए थे। वह तकनीक का विशेषज्ञ है। पूरी योजना अनूप की थी। वह बीए का छात्र है। वह ही पूरी घटना का मास्टरमाइंड है। उसने पूछताछ में बताया कि उसके गांव के लोग फर्जी तरीके से ऑनलाइन ठगी कर मोटी रकम कमा चुके है।
इसी के तहत उसने भी यह कारोबार शुरू किया। उसके गिरोह में तीन अन्य लोग है, एक व्यक्ति फर्जी खाते की व्यवस्था करता है। जिसमें रुपये जमा कराए जाते है। इसके लिए उसे कुल रकम का तीस फीसद हिस्सा दिया जाता है। जबकि दो अन्य सदस्य बालकृष्ण का पीए बनकर आवेदन करने वाले कारोबारी से बात करते थे।