विपक्ष एनआरसी का राजनीतिकरण नहीं करे : राजनाथ

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सोमवार को जारी हुआ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदा अंतिम सूची नहीं है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है;

Update: 2018-07-31 01:14 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सोमवार को जारी हुआ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदा अंतिम सूची नहीं है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने विपक्ष से इसका राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि जिनके नाम अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का अवसर मिलेगा।

राजनाथ ने कहा, "एनआरसी में जो भी कार्य चल रहा है, वह सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हो रहा है। ऐसा कहना कि सरकार ने यह किया है और यह अमानवीय व क्रूर है..इस तरह के आरोप निराधार हैं।"

राजनाथ ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा, "इस तरह की बात कहना सही नहीं है।"

बाद में जारी किए गए एक बयान में राजनाथ ने कहा कि वह 'दृढ़ता के साथ कहना चाहते हैं कि यह सिर्फ एक मसौदा है और अंतिम एनआरसी नहीं है।'

भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने असम के 2,89,83,677 लोगों के नाम वाला अंतिम मसौदा ऑनलाइन प्रकाशित किया है।

गृहमंत्री ने कहा, "किसी के खिलाफ किसी दंडात्मक कार्रवाई का कोई सवाल नहीं है। एनआरसी प्रक्रिया पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ की जा रही है।"

डर का माहौल नहीं बनाने का आग्रह करते हुए राजनाथ ने यह भी कहा कि अगर कोई एनआरसी के पहले मसौदे से संतुष्ट नहीं है तो उस व्यक्ति को कानून के प्रावधानों के अनुसार दावों व आपत्तियों को दर्ज कराने का अवसर मिलेगा और बाद में वह विदेशी न्यायाधिकरण में संपर्क कर सकता है।

उन्होंने कहा कि दावों व आपत्तियों के निपटान के बाद ही अंतिम एनआरसी प्रकाशित होगी।

उन्होंने कहा, "कुछ लोग अनावश्यक भय का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं सभी को भरोसा देना चाहता हूं कि किसी तरह की आशंका या डर की जरूरत नहीं है। कुछ गलत सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं।"

करीब 40 लाख लोग मसौदा सूची से बाहर हैं। एनआरसी प्रक्रिया की पहली सूची बीते साल 31 दिसंबर को जारी की गई थी, जिसमें कुल आवेदकों 3.29 करोड़ लोगों में से करीब 1.9 करोड़ लोग शामिल थे।

सदन से अपील करते हुए मंत्री ने कहा, "यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। हर किसी को अपना समर्थन देना चाहिए। मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं कि ..आप अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं..लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है..हर चीज सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हो रही है।"

उन्होंने कहा, "अगर आप ऐसा कहते हैं..तो मैं सदन से आग्रह करता हूं कि विपक्ष को यह निर्णय करना चाहिए कि सरकार की भूमिका क्या हो।"

उन्होंने कहा, "निराधार आरोप नहीं लगाएं। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे का अनावश्यक रानीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।"

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 40 लाख लोग कहां जाएंगे, जिनके नाम अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं। तृणमूल ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया था।

बंदोपाध्याय ने कहा, "यह अमानवीय है। यह मानसिक प्रताड़ना है। मैं केंद्र सरकार व गृहमंत्री से इस मुद्दे को गंभीरता के साथ लेने का आग्रह करता हूं। किसी भी कीमत पर इन लोगों को न्याय से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। नए सिरे से पुनरीक्षण को शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर जरूरी है तो संशोधन किया जाना चाहिए, जिससे कि इन लोगों को आश्रय मिल सके।"

उन्होंने कहा, "इस कदम को सिर्फ असम में क्यों उठाया गया। दूसरे राज्यों में क्यों नहीं। सरकार को यह भरोसा देना चाहिए कि इन 40 लाख लोगों को न्याय से वंचित नहीं किया जाएगा।"

बंदोपाध्याय का समर्थन करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "मैं इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की मांग करता हूं और इस पर एक संशोधन लाया जाना चाहिए। यह मुद्दा 40 लाख लोगों की नागरिकता से जुड़ा हुआ है।"

उन्होंने कहा कि वे ऐसा करके समाज में एक विभाजन करने की कोशिश कर रहे हैं।

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