विपक्ष ने पूछा, कहां हैं15 लाख सीसीटीवी कैमरे, फ्री वाई फाई, आम आदमी कैंटीन
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी जहां जनता के बीच जाकर विकास यात्रा की योजना बना रही है तो विपक्ष तीन साल के कार्यकाल को विफल करार दे रहा है;
नई दिल्ली। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी जहां जनता के बीच जाकर विकास यात्रा की योजना बना रही है तो विपक्ष तीन साल के कार्यकाल को विफल करार दे रहा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटने जा रही है कि उसने 90प्रतिशत वायदों को पूरा कर लिया है। लेकिन जमीनी हकीकत उलट है तीन वर्ष के कार्यकाल में दिल्ली का विकास पूरी तरह रूक गया है व सरकार 10 प्रतिशत वायदे भी पूरे नहीं कर पाई।
उन्होंने कहा कि तीन साल में पानी की दरों में 30 प्रतिशत वृद्धि हुई, बिजली पर सेस थोप दिया, चुनावी घोषणा पत्र में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक खोलने वाली सरकार अभी तक 130 मोहल्ला क्लीनिक भी नहीं खोल पाई है। हां इनके चलते सरकारी डिस्पेंसरियां जरूर ठप्प हो गईं। शिक्षा पर 25 प्रतिशत बजट का दम भरने वाली सरकार सारा पैसा बने बनाए स्कूलों में नए कमरे बनाने पर खर्च रही है जबकि हाल ही में आयोजित प्रीबोर्ड परिक्षाओं के परिणामों पर शिक्षा के स्तर पर प्रश्न चिन्ह् लगा दिया है। अस्पतालों में 10 हजार नए बिस्तरों की व्यवस्था करने वाली सरकार अपनी जिम्मेदारी प्राइवेट नर्सिंगहोमों को सौंप कर झूठी वाहवाही लूट रही है। तीन साल में 15 लाख सीसीटीवी कैमरे, वाई फाई नहीं दिखे, 28 हजार अध्यापकों के पद रिक्त हैं, 500 में से मात्र 25 नए स्कूल ही खुले, 20 नए डिग्री कॉलेज खोलने के वादे वाली सरकार एक भी कॉलेज के लिए भूमि चिन्ह्ति नहीं कर पाई । आम आदमी कैंटीन का अता.पता नहीं है।
श्री गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आज ट्वीटर पर ब्रिटेन के मंत्री माइकल बेट्स को सैल्यूट करते हुए उनका अभिनंदन किया कि वे हाउस ऑफ कॉमन्स कुछ मिनट विलम्ब से पहुंचे थे और वे सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाए। विलम्ब के लिए उन्होंने माफी मांगी और कहा कि उन्हें जहां होना चाहिए था वे वहां उपस्थित नहीं थे, इसके लिए वे पूरी तरह शर्मिंदा हैं और अपना त्यागपत्र देते हुए कुछ ही क्षणों में सदन से बाहर आ गए। उनके व्यवहार को केजरीवाल ने अभिनन्दनीय मानाए परन्तु उनका अपना व्यवहार इसके ठीक विपरीत होता है। केजरीवाल खुद पूरी विधानसभा में नहीं आते। केजरीवाल तो सदन से पूरे दिन ही नहीं, अपितु पूरे सत्र ही गायब रहते हैं। उन्हें बेट्स से सदन के सम्मान करने का पाठ सीखना चाहिए। शिष्टाचार की बात तो छोडि़ए मुख्यमंत्री की बेरूखी से ऐसा लगता है कि मानों उन्हें दिल्ली के लोगों से कोई सरोकार नहीं है।