चित्तौड़गढ़ जिले में अजा जजा अत्याचारों के एक तिहाई मामले फर्जी

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत वर्ष भर में दर्ज मामलों में एक तिहाई मामले फर्जी पाए गये हैं।;

Update: 2020-01-09 16:27 GMT

चित्तौड़गढ़। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत वर्ष भर में दर्ज मामलों में एक तिहाई मामले फर्जी पाए गये हैं।

पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल ने आज पत्रकारों को जिला पुलिस का सालाना वर्ष 2019 का लेखा जोखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि जिले में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग पर अत्याचारों से संबंधित विभिन्न धाराओं में कुल 124 मामले दर्ज किये गये गये जिनमें से 41 मामले फर्जी पाए गये और 64 मामलों में आरोप पत्र पेश कर दिया गया जबकि वर्ष 2018 में 111 मामले दर्ज कर 62 में आरोप पत्र पेश किया और 37 फर्जी पाए गये।

श्री कयाल ने बताया कि जिले के विभिन्न थानों में हत्या के कुल 31 मामले दर्ज कर 16 में चालान पेश किया गया तथा सात फर्जी पाए गये। बलात्कार के कुल 138 मामले इस वर्ष दर्ज किये गये जबकि गत वर्ष 98 मामले दर्ज हुए थे। इस वर्ष सम्पत्ति संबंधी अपराधों में डकैती का एक, लूट के 51, नकबजनी के 225 एवं चोरी के 873 मामले दर्ज किये गये जो वर्ष 2018 की तुलना में करीब 15 प्रतिशत अधिक है।

शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर सख्ती के चलते हादसों में कमी आई और 2018 में हुई 270 मौतों की तुलना में गत वर्ष 245 लोगों की मौत हुई वहीं घायलों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 250 टाॅप टेन अपराधी चिह्नित कर उनमें से 84 को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप मार्च तक जिले के सभी थानों में परिवादियों के लिए स्वागत कक्ष निर्मित कर दिये जाएंगे जो सीसीटीवी कैमरों से लैस होंगे।
 

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