सर्किल दरों की जांच करेंगे अधिकारी

सर्किल दरों में भारी अन्तर की शिकायत पर मण्डलायुक्त बेहद नाराज हैं;

Update: 2017-12-28 15:00 GMT

गाजियाबाद। सर्किल दरों में भारी अन्तर की शिकायत पर मण्डलायुक्त बेहद नाराज हैं। इतना ही नही डीएम को कड़ा पत्र भेजकर सर्किल दरों में अन्तर की जांच के आदेश दिए गए है। खास बात यह है कि नोएडा में स्कूलों एवं शैक्षणिक संस्थाओं की जमीनों की रजिस्ट्री के लिए आवासीय दरों का पचास प्रतिशत कम सर्किल दर तय है।

गाजियाबाद में ऐसा नहीं है। यहां पर सभी स्कूलों एवं संस्थागत भूखंडों और जमीनों की रजिस्ट्री आवासीय दरों पर ही की जा रही है। कई बार कुछ लोगों ने डीएम के अलावा शासन के उच्च अफसरों से मिलकर इन दरों में चल रहे अन्तर को खत्म कराने का अनुरोध किया। सरकारी मशीनरी की नींद नहीं टूटी।

अब मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के सामने इस प्रकरण की शिकायत ठोस दस्तावेजों के साथ की गई। शिकायत मैसर्स अग्रवाल प्रमोटर्स के डायरेक्टर आदित्य अग्रवाल द्वारा की गई। इसी के आधार पर मण्डलायुक्त ने डीएम को पत्र लिखकर सर्किल दरों के इस अन्तर को समाप्त करने के निर्देश दिए है। पत्र में लिखा है कि इससे पहली डीएम ने शासन को इस संबंध में पत्र लिखा था। प्रमंख सचिव स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन ने दरों में संसोधन का प्रस्ताव मांगा था।

प्रमुख सचिव के पत्र में लिखा है कि शिक्षण संस्थाओं द्वारा बडे भूखण्ड क्रय किए जाने के संबंध में क्षेत्रवार, उपयोगवार अथवा क्षेत्रफलवार मूल्यांकन हेतु दरों में नियमानुसार संसोधन का प्रावधान है। मण्डलायुक्त ने इसी के चलते डीएम को निर्देश दिए है कि वे इस प्रकरण में परीक्षण कर लें एवं शैक्षणिक संस्थाओं के लिए यथोचित सर्किल रेट निर्धारित कर अवगत कराएं।

सहायक आयुक्त स्टाम्प नोएडा जीपी सिंह ने बताया कि नोएडा में संस्थागत भूखंडों की रजिस्ट्री आवासीय दरों की पचास प्रतिशत पर की जा रही है। इस कार्रवाई से अनेक स्कूलों को लाभ होगा। सहायक आयुक्त स्टाम्प मेवालाल ने इस प्रकरण की लम्बित पड़ी फाइल को खुलवा लिया है। 

मोदीपोन कम्पनी का खुला राज

मैसर्स मोदी इण्डस्ट्रीज के मालिकों के राज अब खुलते जा रहे हैं। मण्डलायुक्त के आदेश पर गठित समिति इस कम्पनी की एक एक इंच जमीन की बारीकी से जांच कर रही है। आयुक्त के निर्देश पर जीडीए ने इस कम्पनी में बसाई गई आवासीय कॉलोनियों की जांच कर ली है। जांच रिपोर्ट जीडीए सचिव रवीन्द्र मधुकर गोडबोले ने डीएम के अलावा मण्डलायुक्त को भेज दी है। जांच में खुलासा हुआ है कि जिस जमीन पर आवासीय कॉलोनी विकसित की गईं है, वह जमीन आवासीय है ही नहीं।

जीडीए सचिव ने जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि मैसर्स मोदीपोन कम्पनी लिमिटिड के प्रबन्ध मण्डल द्वारा जो भूमि स्वयं अथवा पॉवर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से कॉलोनाइजेशन के लिए विक्रय की गई है, उस जमीन का मास्टर प्लान में भू उपयोग विपरीत है। बताया गया है कि विकसित की गई मंगल विहार कॉलोनी की जमीन मास्टर प्लान में सिटी सेन्टर के रूप में दर्ज है। कॉलोनी कावेरी एन्क्लेव की जमीन मास्टर प्लान में व्यवसायिक उपयोग में दर्ज है। इतना ही नहीं विकसित की गई समीर विहार कॉलोनी की जमीन भी मास्टर प्लान में व्यवसायिक में दर्शित है। इन तीनों जमीनों पर आवासीय कॉलोनी अनुमन्य नही है। इसके अलावा तिबडा रोड पर मुकेश गर्ग की जमीन पर कॉलोनी काटी गई है। इस जमीन पर मास्टर प्लान के तहत आवासीय कॉलोनी अनुमन्य है। 

बता दे कि प्रदेश के एक मंत्री की शिकायत पर इस कम्पनी की जांच हुई। जांच में जमीन को गलत तरीके से बेचने एवं मिली रकम को आन्दोलनरत श्रमिकों में न बांटने का ख्ुालासा हुआ। एक्वायर जमीन से अधिक जमीन कब्जाने का भी खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट के बाद कम्पनी के मालिकों पर एफआईआर के आदेश दिए जा चुके है। अब अलग अलग स्तर से जांच हो रही है। जीडीए की जांच भी इसी का भाग है। 

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