एनआरसी है मानव अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा: विपक्ष

राज्यसभा में विपक्ष ने आज एक स्वर में कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से जुड़ा मुद्दा मानवाधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा का है और सरकार को इससे ध्यानपूर्वक तथा सतर्कता के साथ निपटना चा;

Update: 2018-07-31 14:48 GMT

नयी दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष ने आज एक स्वर में कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से जुड़ा मुद्दा मानवाधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा का है और सरकार को इससे ध्यानपूर्वक तथा सतर्कता के साथ निपटना चाहिए। 

प्रश्नकाल स्थगित कर एनआरसी राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस नेता तथा सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह मुद्दा मानवाधिकारों से जुड़ा है और यह धर्म, जाति, रंग, लिंग और क्षेत्र से परे हैं। सरकार को इससे निपटने में संवेदनशीलता और सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनअारसी में 40 लाख से ज्यादा लोग बाहर कर दिये गये हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो अन्य राज्याें से जाकर असम में रह रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी लोगों पर थोपी जा रही है जबकि सरकार को यह साबित करना चाहिए कि व्यक्ति विशेष भारतीय नागरिक नहीं हैं। सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसी भी व्यक्ति को नागरिकता को लेकर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार नागरिकता साबित करने के लिए 16 सबूत रखे गये हैं। अगर इनमें कोई एक भी किसी व्यक्ति के पास है तो उसे भारतीय नागरिक माना जाना चाहिए।आजाद ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और इसे वोट के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। 

भारतीय जनता पार्टी के अमित शाह ने कहा कि एनआरसी के मूल में जाना चाहिए और समस्या को समझा जाना चाहिए। असम मेें लंबे संघर्ष के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौता किया और एनआरसी की परिकल्पना सामने आयी। इसमें कहा गया कि असम बंगलादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालना चाहिए। कांग्रेस में इस समझौते को अमल में लाने की हिम्मत नहीं थी लेकिन भाजपा इसे लागू कर रही है। 

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास कोई एक सबूत भी है तो उसे स्वीकार करना चाहिए। असम से दूसरे राज्यों के लोगों को बाहर नहीं किया जाना चाहिए। यह मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

अन्नाद्रमुक की विजिला साईनाथ ने कहा कि असम में भारत के अन्य हिस्सों के लोग भी रहते हैं। इसका ध्यान रखना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय ने कहा कि असम से लाखों लोगों को बाहर किया जा रहा है। यह सोचा जाना चाहिए कि ये लोग कहां जाएंगे। एनआरसी की इस सूची को वापस लिया जाना चाहिए। यह पूरी तरह से अमानवीय है।

बीजू जनता दल के प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि असम में बाहरी लाेगों का विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए, अन्यथा इसके खतरनाक परिणाम होंगे। तेलुगू देशम पार्टी के वाई एस चौधरी ने कहा कि एनआरसी पूरी तरह से विफल रहा है। यह मुद्दा केवल असम तक सीमित नहीं बल्कि इसका असर देश के दूसरे हिस्सों पर भी पड़ेगा।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के टी के रंगराजन ने कहा कि यह असम का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। यह गंभीर मुद्दा है और इससे ध्यान पूर्वक निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी की पूरी रिपोर्ट गैर कानूनी है। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि यह प्रशासनिक असंवेदनशीलता का उदाहरण है। ये पूरी तरह से मानवाधिकारों का मुद्दा है। बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह ने कहा कि एक संवेदनशील समस्या है और इसमें सबकी राय ली जानी चाहिए।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मजीद मेनन ने कहा कि यह मानवीय मुद्दा है। इस फैसले से दुनिया भर मखौल उड़ाया जाएगा। इस बड़ी संख्या में लोग कहां जाएंगे। तेलंगाना राष्ट्र समिति के धर्मपुरी श्रीनिवास ने कहा कि माननीय मुद्दा है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखना होगा।

कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा ने कहा कि मामले से ध्यानपूर्वक निपटाया जाना चाहिए। चर्चा में द्रमुक के तिरुचि शिवा, अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के विजय साई ने रेड्डी ने भी हिस्सा लिया।

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